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बिहार में भाजपा का परिवारवाद: चुनावी रणनीति में नया मोड़

भारतीय जनता पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले परिवारवाद को एक नई दिशा दी है। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के परिवार के सदस्यों को विभिन्न राजनीतिक पदों पर समायोजित किया गया है। चिराग खुद केंद्रीय मंत्री हैं, जबकि जीतन राम मांझी भी महत्वपूर्ण पदों पर हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस परिवारवाद पर कुछ कहेंगे। जानें इस राजनीतिक खेल के पीछे की रणनीति और इसके संभावित प्रभाव।
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बिहार में भाजपा का परिवारवाद: चुनावी रणनीति में नया मोड़

भाजपा की नई रणनीति

भारतीय जनता पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक अनोखी रणनीति अपनाई है। इस बार उसने परिवारवाद को एक नए तरीके से पेश किया है, जो पहले कभी किसी सहयोगी पार्टी के साथ नहीं देखा गया। आमतौर पर प्रादेशिक पार्टियों के नेता अपने परिवार के सदस्यों को राजनीतिक पदों पर नियुक्त करते रहे हैं। उदाहरण के लिए, मुलायम सिंह यादव ने अपने परिवार के कई सदस्यों को सांसद और विधायक बनाया। इसी तरह, शरद पवार और करुणानिधि के परिवारों में भी ऐसा देखने को मिला है। लेकिन भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के लिए ऐसी उदारता पहले नहीं दिखाई थी।


बिहार में भाजपा ने अपनी सहयोगी पार्टियों, लोक जनशक्ति पार्टी और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के नेताओं, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के परिवार के सभी सदस्यों को कहीं न कहीं समायोजित कर दिया है। चिराग के परिवार में अब कोई सदस्य ऐसा नहीं बचा है जिसे कुछ और दिया जा सके। चिराग खुद लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं। उनके बहनोई अरुण भारती भी लोकसभा के सांसद हैं। भाजपा ने उनके पिता, स्वर्गीय रामविलास पासवान की पहली पत्नी के दामाद, मृणाल पासवान को बिहार अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बना दिया है।


यदि चिराग विधानसभा चुनाव जीतते हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे अपनी लोकसभा सीट छोड़ेंगे और उनकी मां या कोई अन्य सदस्य चुनाव लड़ेगा। इसी प्रकार, जीतन राम मांझी भी लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं। उनके बेटे संतोष सुमन विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। उनकी बहू दीपा मांझी भी विधायक हैं, और उनकी समधन भी उनकी पार्टी से विधायक हैं। अब उनके दामाद देवेंद्र मांझी को राज्य अनुसूचित जाति आयोग का उपाध्यक्ष बना दिया गया है। कहा जा रहा है कि इस बार वे अपने दूसरे बेटे को भी चुनाव में उतारेंगे।


इस स्थिति में, यह सोचने वाली बात है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब परिवारवाद पर कुछ कहेंगे? और यदि हां, तो इन दोनों नेताओं के संदर्भ में उनका दृष्टिकोण क्या होगा?