बिहार में मतदाता सत्यापन पर चुनाव आयोग का नया हलफनामा

मतदाता पात्रता दस्तावेज़
मतदाता पात्रता दस्तावेज़: बिहार में चल रहे विशेष सत्यापन अभियान, जिसे विशेष गहन पुनरीक्षण कहा जाता है, के संदर्भ में चुनाव आयोग (EC) ने सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत किया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज़ मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए मान्य नहीं हैं। आयोग का कहना है कि ये दस्तावेज न तो नागरिकता की पुष्टि करते हैं और न ही SIR प्रक्रिया की निष्पक्षता की गारंटी देते हैं।
आईडी पर उठे सवाल
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की उस प्रारंभिक राय से असहमतता जताई है जिसमें कहा गया था कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को SIR के लिए वैध दस्तावेज़ माना जा सकता है। आयोग ने बताया कि आधार केवल एक पहचान पत्र है, जो किसी व्यक्ति की नागरिकता को नहीं दर्शाता है।
नागरिकता पर नहीं होगा असर
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं आता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि नागरिकता अधिनियम की धारा 9 इस प्रक्रिया में लागू नहीं होती है।
कोर्ट से याचिका खारिज करने की मांग
चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों, गैर सरकारी संगठनों और बिहार के कुछ निवासियों द्वारा दायर याचिका को खारिज करने की अपील की है, जिसमें SIR को रद्द करने और नवंबर विधानसभा चुनाव को दिसंबर 2024 की मतदाता सूची पर आयोजित करने की मांग की गई थी।
11 दस्तावेजों की सूची
चुनाव आयोग ने कहा है कि सत्यापन के लिए जिन 11 दस्तावेजों की सूची बनाई गई है, उसमें वोटर आईडी और राशन कार्ड शामिल नहीं हैं। आधार को केवल पहचान प्रमाण के रूप में माना जाता है, न कि मतदाता के योग्य होने का प्रमाण। आयोग का यह रुख दर्शाता है कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को पूरी तरह निष्पक्ष और नई प्रक्रिया से तैयार करना चाहता है।