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बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया समावेशी है। विपक्षी दलों ने इस निर्णय के खिलाफ एकजुट होकर विरोध जताया है, यह आरोप लगाते हुए कि इससे लाखों मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई 10 जुलाई को होगी, जिसमें कई राजनीतिक दलों ने याचिका दायर की है। जानें इस विवाद के सभी पहलुओं के बारे में।
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बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

बिहार में मतदाता सूची का विवाद

बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी दलों में असंतोष है। कई राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव आयोग के इस निर्णय के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह संशोधन प्रक्रिया समावेशी है। विपक्ष का आरोप है कि इस पुनरीक्षण के कारण लाखों मतदाता अपने मतदान के अधिकार से वंचित हो सकते हैं।


सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 10 जुलाई को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), सीपीआई, सीपीआई (एमएल), एनसीपी (शरद पवार), समाजवादी पार्टी, और जेएमएम के नेताओं ने मिलकर इस मुद्दे पर याचिका दायर की है। यह याचिका बिहार में होने वाले आगामी चुनावों से पहले चुनाव आयोग के इस निर्णय के खिलाफ है।