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बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर कपिल सिब्बल के गंभीर आरोप

राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि यह मोदी सरकार के प्रभाव में काम कर रहा है। सिब्बल का कहना है कि यह प्रक्रिया बहुसंख्यक सरकारों को बनाए रखने के लिए एक रणनीति है। उन्होंने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाए हैं और कहा है कि आयोग को नागरिकता से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। इस विवाद में महाराष्ट्र चुनाव का मुद्दा भी महत्वपूर्ण है।
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बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर कपिल सिब्बल के गंभीर आरोप

बिहार मतदाता सूची का विवाद

बिहार मतदाता सूची: राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि यह हमेशा से मोदी सरकार के प्रभाव में रहा है। उनका कहना है कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एक 'असंवैधानिक' कदम है, जिसका उद्देश्य बहुसंख्यक सरकारों को सत्ता में बनाए रखना है।


चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल

पूर्व कानून मंत्री ने एक बातचीत में यह भी कहा कि हर चुनाव आयुक्त इस सरकार के साथ मिलकर काम करने में एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं। बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को नागरिकता से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।


सरकार की कठपुतली बन गया चुनाव आयोग

सरकार के प्रभाव में चुनाव आयोग

चुनाव आयोग का कहना है कि 22 साल बाद किए जा रहे इस पुनरीक्षण का उद्देश्य मतदाता सूची से अपात्र लोगों और 'डुप्लिकेट' प्रविष्टियों को हटाना है। सिब्बल ने कहा, "जब से यह सरकार आई है, चुनाव आयोग लंबे समय से सरकार के हाथों की कठपुतली बना हुआ है।" उन्होंने कहा कि आयोग के आचरण पर कम से कम टिप्पणी करना बेहतर है।


बीजेपी के चुनावी हथकंडे

बीजेपी की चुनावी रणनीति

सिब्बल ने कहा, "मैंने हमेशा कहा है कि बीजेपी चुनाव जीतने के लिए हर संभव उपाय अपनाती है। विशेष गहन पुनरीक्षण की यह प्रक्रिया बहुसंख्यक सरकारों को बनाए रखने का एक तरीका है।" उन्होंने कहा कि यदि गरीबों और आदिवासियों के नाम हटाए जाते हैं, तो यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बहुसंख्यक पार्टी हमेशा जीत हासिल करे।


चुनाव आयोग पर विश्वास की कमी

चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल

सिब्बल ने कहा कि उन्हें चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर भरोसा नहीं है, क्योंकि इस संस्था ने वह स्वतंत्रता नहीं दिखाई है जिसकी अपेक्षा की जाती है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।


महाराष्ट्र चुनाव का मुद्दा

महाराष्ट्र चुनाव पर चर्चा

सिब्बल ने महाराष्ट्र के चुनावों का भी जिक्र किया, जहां चुनाव आयोग ने स्पष्ट नहीं किया कि केवल उन निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या अचानक कैसे बढ़ गई जहाँ बीजेपी जीती है।


संवैधानिक प्रक्रिया का महत्व

संवैधानिक आदेश का पालन

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने चुनाव आयोग की ओर से एसआईआर को 'संवैधानिक आदेश' बताते हुए इसे जारी रखने की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि मतदान का अधिकार एक महत्वपूर्ण अधिकार है और इसे रोकना उचित नहीं है।