बिहार में महागठबंधन का बड़ा प्रदर्शन: राहुल गांधी का पहली बार सक्रिय योगदान

बिहार में महागठबंधन का विरोध प्रदर्शन
बिहार की राजनीति में बुधवार को एक नया मोड़ आया जब महागठबंधन के सभी प्रमुख दलों ने राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया। इस आंदोलन में राहुल गांधी ने पहली बार भाग लिया, जहां उन्होंने तेजस्वी यादव और भाकपा (माले) के नेता दीपांकर भट्टाचार्य के साथ मिलकर विरोध मार्च का नेतृत्व किया। इस बंद के दौरान कई जिलों में रेल और सड़क यातायात प्रभावित हुआ, और कई स्थानों पर ट्रेनें रोकी गईं, जिससे हाईवे पर जाम लग गया।
महागठबंधन का चुनाव आयोग पर हमला
राजद, कांग्रेस, भाकपा (माले) और अन्य महागठबंधन दलों ने मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान (SIR) को लेकर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन दलों का कहना है कि एसआईआर के माध्यम से पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक और गरीब वर्गों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं, जो एक सुनियोजित 'वोटबंदी' साजिश का हिस्सा है।
बंद का प्रभावी असर
बिहार बंद का सबसे अधिक प्रभाव जहानाबाद, भोजपुर, दरभंगा और पटना जैसे जिलों में देखा गया। जहानाबाद रेलवे स्टेशन पर राजद छात्र इकाई के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने रेल ट्रैक पर उतरकर ट्रेनें रोक दीं। दरभंगा में 'नमो भारत' ट्रेन को राजद कार्यकर्ताओं ने रोका, जबकि भोजपुर के बिहिया में पूर्व विधायक दिनेश ने समर्थकों के साथ मिलकर श्रमजीवी एक्सप्रेस और विभूति एक्सप्रेस की आवाजाही रोक दी।
राहुल गांधी की पहली बार सक्रिय भागीदारी
राहुल गांधी ने पहले भी बिहार में चुनाव प्रचार किया है, लेकिन यह उनका पहला मौका है जब वे किसी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए हैं। तेजस्वी यादव और दीपांकर भट्टाचार्य के साथ उनकी उपस्थिति ने इस बंद को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश दिया। तीनों नेताओं ने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर मार्च किया और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना की।
चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
महागठबंधन का आरोप है कि केंद्र सरकार चुनाव आयोग पर दबाव डालकर एसआईआर के तहत गरीब, दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के वोट काट रही है। राजद नेता प्रेमचंद्र उर्फ भोलू यादव ने कहा, “चुनाव आयोग अब निष्पक्ष संस्था नहीं रह गई है। केंद्र के इशारे पर लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।”
तेजस्वी यादव की अपील
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, "बिहार बंद और चक्काजाम में शामिल होइए और लोकतंत्र को बचाइए। गरीबों, पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को वोटर लिस्ट से बाहर करने की चुनाव आयोग और भाजपा की साजिश को हम सफल नहीं होने देंगे।"
विपक्ष की एकजुटता
बंद में कांग्रेस, राजद, भाकपा (माले), भाकपा, माकपा और अन्य वामपंथी दलों के कार्यकर्ता एकजुट नजर आए। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र और राज्य सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया और वोटर राइट्स की रक्षा के लिए निर्णायक लड़ाई की चेतावनी दी।
पुलिस प्रशासन की तैयारी
राज्य प्रशासन ने बंद के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष सुरक्षा बलों की तैनाती की थी। हालांकि, कुछ स्थानों पर कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हल्की झड़पें हुईं, लेकिन स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया।