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बिहार में मोबाइल ई-वोटिंग की शुरुआत: भारतीय राजनीति में नया अध्याय

बिहार ने भारतीय राजनीति में एक नई दिशा दिखाई है, जहां मोबाइल ई-वोटिंग की सुविधा शुरू की गई है। यह पहल न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। इस प्रणाली के तहत, मतदाता अपने घर से या अन्य स्थानों से वोट डाल सकते हैं। जानें इस प्रक्रिया के बारे में और कैसे यह मतदाताओं को मतदान में भाग लेने का अवसर प्रदान करती है।
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बिहार की नई ई-वोटिंग पहल

बिहार ने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के चुनावी इतिहास में एक मील का पत्थर बन सकता है। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले, बिहार ने मोबाइल फोन के माध्यम से ई-वोटिंग की सुविधा शुरू की है। इस पहल के साथ, बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जहाँ ई-वोटिंग का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है। आइए जानते हैं कि यह प्रक्रिया कैसे कार्य करती है और इसके पीछे का इतिहास क्या है।


राज्य चुनाव आयुक्त दीपक प्रसाद ने इस नई प्रणाली की सफलता के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि इस प्रणाली का उपयोग करने वाले योग्य मतदाताओं में से 70.20% ने मोबाइल ई-वोटिंग का विकल्प चुना, जबकि 54.63% मतदाताओं ने पोलिंग सेंटर पर जाकर मतदान किया। बिहार चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इसकी घोषणा की, जिसमें यह भी बताया गया कि पूर्वी चंपारण जिले की बिभा कुमारी ने देश की पहली ई-वोटर बनने का गौरव प्राप्त किया।


ई-वोटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें मतदाता अपने घर से, किसी अन्य स्थान से, या पोलिंग स्टेशन पर स्थित कियोस्क के माध्यम से अपने वोट डाल सकते हैं। बिहार में यह प्रक्रिया एक नई शुरुआत है, जिसने भारतीय चुनावी प्रणाली में डिजिटल परिवर्तन का आगाज किया है। बिभा कुमारी और मुन्ना कुमार ने मोबाइल के जरिए वोट डालकर इस पहल को सफल बनाया। इसके अलावा, बिहार के तीन जिलों में 6 नगर पंचायतों में हुए उपचुनावों में भी कई अन्य मतदाताओं ने घर बैठे अपने वोट डाले।


ई-वोटिंग प्रणाली का डिज़ाइन सुरक्षा और पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इसके लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया गया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि वोटों में कोई छेड़छाड़ न हो और मतदान पूरी तरह सुरक्षित रहे। इस प्रणाली में वोटर की पहचान उनके वोटर आईडी के माध्यम से की जाती है। मतदाता को 'e-SECBHR' ऐप को अपने एंड्रॉयड मोबाइल पर डाउनलोड करना होता है, जिसमें उन्हें अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर करना होता है। मतदान के दिन, वे इस ऐप के माध्यम से अपना वोट डाल सकते हैं। खास बात यह है कि एक बार वोट डालने के बाद, मतदाता अपना वोट दोबारा नहीं डाल सकता।


नई ई-वोटिंग प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के साथ-साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) सिस्टम, फेस रिकॉग्निशन सिस्टम (FRS), और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) जैसी तकनीकें शामिल हैं। इसके साथ ही, ईवीएम स्ट्रांगरूम के लिए डिजिटल लॉक की सुविधा भी प्रदान की गई है, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो सके। इस प्रणाली में ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म जैसी सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं, जो वोटों की सुरक्षा को और मजबूत करती हैं।


इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य उन मतदाताओं तक पहुंच बनाना है, जो किसी कारणवश पोलिंग बूथ पर जाने में असमर्थ होते हैं। जैसे प्रवासी मजदूर, वरिष्ठ नागरिक, गर्भवती महिलाएं, दिव्यांग व्यक्ति और गंभीर रूप से बीमार लोग। इस पहल से इन्हें अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अवसर मिलेगा, बिना पोलिंग सेंटर तक पहुंचे।