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बिहार में राज्यसभा सीट के लिए चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के बीच संघर्ष

बिहार में राज्यसभा की एक सीट को लेकर चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के बीच तीखी प्रतिस्पर्धा चल रही है। उपेंद्र कुशवाहा की स्थिति कमजोर होती दिख रही है, जबकि जीतन राम मांझी ने भी अपनी दावेदारी पेश की है। चिराग पासवान की पार्टी के पास 19 विधायक हैं, जो उन्हें मजबूत बनाते हैं। जानें इस चुनाव में कौन बनेगा विजेता और किसकी दावेदारी सबसे मजबूत है।
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बिहार में राज्यसभा सीट के लिए चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के बीच संघर्ष

राज्यसभा सीट पर खींचतान

बिहार में एक राज्यसभा सीट को लेकर चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के बीच प्रतिस्पर्धा जारी है। उपेंद्र कुशवाहा वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। पिछले साल लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्हें राज्यसभा में भेजा गया था। उनका कहना है कि उनके साथ एक कमिटमेंट है। पिछली बार उन्हें चार साल की बजाय केवल दो साल के लिए राज्यसभा में भेजा गया था, और यह कहा गया था कि 2026 में उन्हें फिर से भेजा जाएगा। हालांकि, उनकी पत्नी अब विधायक बन गई हैं और उन्होंने अपने बेटे को बिना विधायक बने ही मंत्री बना दिया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि उन्हें विधान परिषद की एक सीट मिल रही है। इससे उनकी राज्यसभा में वापसी की संभावना कम हो गई है.


जीतन राम मांझी की दावेदारी

वहीं, जीतन राम मांझी का कहना है कि उनके बेटे और बिहार सरकार के मंत्री संतोष सुमन को अमित शाह ने एक राज्यसभा सीट देने का आश्वासन दिया था। इन तीनों में चिराग पासवान की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है, जिनकी पार्टी के पास 19 विधायक हैं। भाजपा के पास 89 और जनता दल यू के पास 85 विधायक हैं, जिससे दोनों पार्टियों को अपने दम पर राज्यसभा की दो-दो सीटें मिल सकती हैं। इसके बाद चिराग पासवान को एक सीट की आवश्यकता होगी। कहा जा रहा है कि वे अब्दुल खालिक को राज्यसभा भेजना चाहते हैं। पहले उनकी मां रीना पासवान का नाम चर्चा में था, लेकिन अब उन्होंने अपने पिता के साथी खालिक का नाम आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है.


राज्यसभा चुनाव की दिलचस्पी

अगर प्रेम गुप्ता और अब्दुल खालिक के बीच मुकाबला होता है, तो ओवैसी के विधायकों के लिए खालिक को वोट देना आसान नहीं होगा। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि उपेंद्र कुशवाहा और मांझी के विधायक इस स्थिति में क्या करेंगे। यदि भाजपा का कोई पांचवां उम्मीदवार होता, तो समस्या नहीं होती, लेकिन चिराग के उम्मीदवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस बार राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में बिहार का चुनाव सबसे रोमांचक होने की संभावना है।