बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए का नया सीट बंटवारा फॉर्मूला

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के भीतर सीट बंटवारे की एक नई योजना तैयार की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, गठबंधन में शामिल प्रमुख दलों के बीच सीटों के वितरण पर चर्चा चल रही है, जिसमें स्थानीय परिस्थितियों और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए टिकट वितरण की योजना बनाई जा रही है। इस लेख में हम इस नए फॉर्मूले, गठबंधन के भविष्य, और बिहार में एनडीए के चेहरे को लेकर हो रही चर्चाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे.
सूत्रों के अनुसार, इस बार सीट बंटवारे में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। जेडीयू और बीजेपी इस चुनावी मुकाबले में प्रमुख रूप से शामिल होंगी, और दोनों दलों के बीच सीटों का वितरण इस प्रकार हो सकता है: जेडीयू को 243 सीटों में से 102-103 सीटें मिल सकती हैं, जबकि बीजेपी को 101-102 सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर मिल सकता है.
40 सीटों का क्या?
बाकी बची लगभग 40 सीटों को लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (HAM), और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को आवंटित किया जाएगा। इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी LJP को मिलने की संभावना है, क्योंकि वर्तमान में उसके पास 5 सांसद हैं, और उसे लगभग 25-28 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, HAM को 6-7 सीटें और RLM को 4-5 सीटें मिल सकती हैं.
जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए टिकट वितरण
गठबंधन के भीतर इस बात पर सहमति बनी है कि टिकट वितरण में स्थानीय परिस्थितियों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। उम्मीदवारों के चयन में केवल पार्टी की पृष्ठभूमि को ही नहीं, बल्कि उम्मीदवारों की जातीय पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखा जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विभिन्न जाति समूहों के वोटों का समर्थन प्राप्त किया जा सके.
गठबंधन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि एक ही जिले में विभिन्न सहयोगी दलों के उम्मीदवारों का चुनाव इस प्रकार किया जाए कि एक ही जाति के कई उम्मीदवार एक ही गठबंधन से न उतरें। इससे सभी जातीय समुदायों से वोटों का संतुलन बनाया जा सकेगा.
नीतीश कुमार होंगे एनडीए के चेहरा
बीजेपी के सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार ही बिहार में एनडीए का चेहरा होंगे। बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी साख और लोकप्रियता पर कोई संदेह नहीं है, और बीजेपी इस बात से सहमत है कि नीतीश कुमार के नाम और काम के आधार पर चुनाव लड़ा जाएगा। बिहार के चुनावी परिप्रेक्ष्य में नीतीश कुमार की छवि सकारात्मक रही है, और बीजेपी का कहना है कि उनकी साख को मुद्दा बनाना आरजेडी (राजद) के लिए उल्टा साबित हो सकता है.
बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों का इतिहास
बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों के बंटवारे का इतिहास भी काफी दिलचस्प रहा है। 2010 में जब जेडीयू और बीजेपी ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, तब जेडीयू ने 141 और बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसके बाद 2015 में नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए और फिर 2020 में दोनों दलों ने फिर से गठबंधन किया। उस समय जेडीयू ने 115 और बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
इस बार चिराग पासवान की पार्टी के इस चुनाव में अपनी सीटों के लिए संघर्ष करने की बात सामने आई है। हालांकि, बीजेपी और जेडीयू दोनों यह मानते हैं कि चिराग पासवान की पार्टी को मिलने वाली सीटों का फैसला उनकी पार्टी खुद तय कर सकती है। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे, इस पर कोई दो राय नहीं है.
निष्कर्ष
बिहार में आगामी चुनावों को लेकर एनडीए का सीट बंटवारा और गठबंधन के भीतर हो रही चर्चाएं यह दर्शाती हैं कि इस बार गठबंधन अपनी ताकत को एकजुट करके चुनावी मैदान में उतरने का इरादा रखता है। जातीय समीकरण, जमीनी हकीकत और सहयोगी दलों के बीच समझौते के आधार पर सीटों का वितरण किया जाएगा। वहीं, नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए चुनावी संघर्ष में उतरेगा, और यह देखना दिलचस्प होगा कि गठबंधन की यह रणनीति कितनी सफल साबित होती है.