बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए का सीट बंटवारा लगभग तय, जानें क्या हैं प्रमुख मांगें

एनडीए का सीट बंटवारा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अपने सीट बंटवारे का खाका लगभग तैयार कर लिया है। 243 विधानसभा सीटों में से 240 पर सभी सहयोगी दलों के बीच सहमति बन चुकी है, जबकि तीन सीटों पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के बीच बातचीत जारी है। हालांकि, गठबंधन की ओर से आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, यह घोषणा आगामी शनिवार तक की जा सकती है.
सीटों का वितरण
सूत्रों के अनुसार, एनडीए के भीतर सीटों का वितरण इस प्रकार है:
- जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को 101 सीटें मिली हैं।
- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 100 सीटें मिली हैं।
- लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 26 सीटें मिली हैं।
- हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) को 7 सीटें मिली हैं।
- राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) को 6 सीटें मिली हैं।
लोक जनशक्ति पार्टी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की मांगें
लोक जनशक्ति पार्टी ने 40 से 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन भाजपा ने उन्हें लगभग 20 से 25 सीटें देने का प्रस्ताव रखा है। इसी तरह, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कम से कम 15 सीटों की मांग की थी, लेकिन उन्हें केवल 7 सीटें दी गई हैं। इन मांगों के बीच सीट बंटवारे को अंतिम रूप देना एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण हो रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखें
चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों में मतदान की योजना बनाई है। पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। बिहार का राजनीतिक माहौल इस समय अस्थिर बना हुआ है, क्योंकि गठबंधनों में हो रहे बदलाव और आंतरिक मतभेद चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।
वर्तमान राजनीतिक समीकरण
वर्तमान में एनडीए के पास विधानसभा में 131 सीटें हैं, जिनमें भाजपा के 80, जदयू के 45, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के 4 और दो निर्दलीय विधायक शामिल हैं। वहीं, विपक्षी महागठबंधन के पास 111 सीटें हैं, जिसमें राजद के 77, कांग्रेस के 19, भाकपा-माले के 11, माकपा के 2 और भाकपा के 2 विधायक शामिल हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि भाजपा ने 74 सीटें जीती थीं, जिससे दोनों दलों का मतदाता आधार मजबूत साबित हुआ है।