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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए की ऐतिहासिक जीत और विजय सिन्हा की नई भूमिका

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है, जिसमें विजय कुमार सिन्हा को उपनेता चुना गया है। उनकी जीत ने न केवल पार्टी में उनकी स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि बिहार की राजनीति में भूमिहार समुदाय के प्रभाव को भी दर्शाया है। जानें विजय सिन्हा की राजनीतिक यात्रा और उनकी जीत के पीछे की कहानी।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए की ऐतिहासिक जीत और विजय सिन्हा की नई भूमिका

बिहार में एनडीए की जीत का नया अध्याय


बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है, जिसने राज्य की राजनीतिक स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है। 243 सदस्यों वाली विधानसभा में एनडीए ने 202 सीटें जीतकर महागठबंधन को करारी मात दी। भाजपा को 89 और जेडीयू को 85 सीटें मिलीं, जिसके बाद भाजपा ने उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा को विधायी दल का उपनेता चुना।


विजय सिन्हा की जीत और उनकी स्थिति

विजय सिन्हा ने अमरेश कुमार को कितने वोटों से हराया?


यह निर्णय न केवल पार्टी में उनकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है, बल्कि बिहार की राजनीति में भूमिहार समुदाय के एक प्रमुख नेता के रूप में उनकी स्थिति को भी मजबूत करता है। लखीसराय सीट से लगातार पांचवीं बार विजयी विजय सिन्हा ने कांग्रेस के अमरेश कुमार को लगभग 25 हजार मतों के अंतर से हराया, उन्हें कुल 1.22 लाख से अधिक वोट मिले।


जीत के बाद उन्होंने कहा कि यह जनता का समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संयुक्त नेतृत्व का प्रमाण है। उनके अनुसार, यह जनादेश राज्य के युवाओं, महिलाओं और किसानों के उज्जवल भविष्य के लिए है।


विजय सिन्हा का व्यक्तिगत और राजनीतिक सफर

5 जून 1967 को लखीसराय जिले के तिलकपुर गांव में जन्मे विजय सिन्हा एक साधारण परिवार से हैं। उनके पिता शिक्षक थे और मां गृहिणी। स्थानीय स्कूलों से शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने 1989 में बेगूसराय पॉलिटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। छात्र जीवन में एबीवीपी के सक्रिय सदस्य बनकर उन्होंने अपनी राजनीतिक सोच का विकास किया।


इंजीनियरिंग की डिग्री के बावजूद, उन्होंने राजनीति को अपना करियर चुना। 1986 में सुशीला देवी से विवाह के बाद उनका पारिवारिक जीवन भी स्थिर रहा और उनके चार बच्चे हैं।


राजनीतिक करियर की शुरुआत

2005 में पहली बार विधायक बने विजय सिन्हा 


1990 के दशक में भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले सिन्हा 2005 में पहली बार विधायक बने और तब से लखीसराय सीट पर लगातार जीतते आ रहे हैं। 2017 में उन्हें श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया, जहां उनके कार्य की सराहना हुई। 2020 में वे बिहार विधानसभा के स्पीकर बने और उनके कार्यकाल में सदन की कार्यवाही में उनकी दृढ़ता चर्चा का विषय रही।


हालांकि, 2022 में महागठबंधन बनने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद वे विपक्ष के नेता बने और महागठबंधन सरकार पर लगातार हमले करते रहे। जनवरी 2024 में नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने पर उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया और कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई। फरवरी 2025 में उन्हें कृषि विभाग का अतिरिक्त प्रभार मिला, जहां उन्होंने किसान हितैषी नीतियों पर जोर दिया।


चुनावी प्रचार के दौरान खोरियारी गांव में उनके काफिले पर विरोध और विवादित बयान ने राजनीतिक बहस को जन्म दिया, लेकिन चुनाव परिणामों ने साबित किया कि उनके जनाधार पर इसका कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा। भारी बहुमत से मिली जीत ने उन्हें राज्य की राजनीति में और अधिक सशक्त बना दिया है।