बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए में सियासी टकराव बढ़ा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए में सियासी टकराव
Bihar Assembly Election 2025: बिहार में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के दो प्रमुख सहयोगी दलों के बीच राजनीतिक संघर्ष तेज हो गया है, जो आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए चिंता का विषय बन सकता है। एक तरफ हैं हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी, जबकि दूसरी ओर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान हैं।
1 जुलाई, मंगलवार को जीतन राम मांझी ने चिराग पासवान पर बिना उनका नाम लिए हमला किया। उन्होंने कहा, '2020 में क्या हुआ, यह सबने देखा है। यदि वही गलती दोबारा की गई, तो परिणाम भी वही होगा।' उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई अपनी महत्वाकांक्षा के लिए बिहार में सक्रिय होना चाहता है, तो रास्ता खुला है, लेकिन जिस उद्देश्य से वह आना चाहते हैं, वह सफल नहीं होगा। बिहार को इस समय किसी और की आवश्यकता नहीं है; यहां नीतीश कुमार और पीएम मोदी ही काफी हैं।
चिराग की चुनावी एंट्री पर मचा बवाल
वास्तव में, चर्चा है कि चिराग पासवान इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में भाग ले सकते हैं। 2020 में, चिराग ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था और जेडीयू (नीतीश की पार्टी) के खिलाफ हर सीट पर उम्मीदवार उतारे थे, जिससे जेडीयू केवल 43 सीटों पर सिमट गई थी। खुद चिराग की पार्टी ने केवल एक सीट जीती थी।
चिराग के जीजा अरुण भारती का पलटवार
इस बीच, चिराग पासवान के जीजा और सांसद अरुण भारती ने भी बिना नाम लिए मांझी पर निशाना साधा। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, 'बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले इस्तीफा देने का अनुभव वाकई चिराग पासवान जी के पास नहीं है।' यह सीधा इशारा था मांझी के 2015 के उस फैसले की ओर, जब उन्होंने सीएम पद से बहुमत साबित करने से पहले इस्तीफा दे दिया था।
क्या बीजेपी को पड़ेगा असर?
एनडीए की इस आंतरिक लड़ाई से स्पष्ट है कि चुनाव से पहले गठबंधन में दरार की संभावनाएं बनी हुई हैं। मांझी और चिराग दोनों केंद्र में मंत्री हैं और एनडीए के महत्वपूर्ण चेहरे भी। यदि यह जुबानी जंग आगे बढ़ी, तो पीएम मोदी और नीतीश की राजनीतिक रणनीति को बड़ा झटका लग सकता है।