बिहार विधानसभा चुनाव 2025: क्या फिर से होगा राजनीतिक टकराव?

बिहार में चुनावी हलचल तेज
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी शुरू हो चुकी है, और राज्य में राजनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। 2021 में पश्चिम बंगाल में हुई राजनीतिक हिंसा और धार्मिक ध्रुवीकरण की याद ताजा करते हुए, बिहार में भी ऐसी ही हलचलें देखने को मिल रही हैं। बीजेपी और महागठबंधन के बीच बयानबाजी में तेजी आई है, और चुनाव आयोग की मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर विवाद ने चुनावी माहौल को गरमा दिया है.
बिहार बंद और चक्का जाम का प्रभाव
9 जुलाई को पटना में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आयोजित बिहार बंद और चक्का जाम ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार की चुनावी स्थिति में केवल नारेबाजी नहीं, बल्कि गंभीर राजनीतिक टकराव शुरू हो चुका है। तेजस्वी ने मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया को 'छुपा हुआ NRC' करार दिया, जबकि राहुल गांधी ने इसे 'संविधान पर हमला' बताया। क्या बिहार भी बंगाल की तरह एक विभाजित और विद्रोही चुनावी युद्ध का गवाह बनेगा?
मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सियासी घमासान
चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। कांग्रेस और आरजेडी का आरोप है कि यह कदम गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यकों के मताधिकार पर हमला है। राहुल गांधी ने इसे 'लोकतंत्र पर कुठाराघात' बताया, जबकि तेजस्वी यादव ने इसे 'एनआरसी को बिहार में छिपकर लागू करने की साजिश' कहा.
बीजेपी की चुनावी रणनीति
बीजेपी बिहार चुनाव में धर्म, जाति और क्षेत्रीय मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बना रही है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का बयान, 'हम जंगलराज की वापसी नहीं होने देंगे,' सीधे तेजस्वी यादव पर निशाना है। चिराग पासवान का हर सीट पर चुनाव लड़ने का ऐलान जेडीयू के लिए चिंता का विषय बन गया है, जिससे एनडीए के भीतर एकजुटता की कोशिशें जारी हैं, लेकिन अंदरूनी कलह भी बढ़ रही है.
महागठबंधन में दरारें
महागठबंधन भी एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन दरारें अब स्पष्ट हो रही हैं। तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को 'नाम का मुख्यमंत्री' कहा, और लालू प्रसाद यादव ने ममता बनर्जी को INDIA गठबंधन में नेतृत्व देने की बात कहकर कांग्रेस को असहज कर दिया। कन्हैया कुमार को एक मंच से दूर रखा जाना महागठबंधन के भीतर भरोसे की कमी का संकेत है.
सोशल मीडिया पर चुनावी माहौल
सोशल मीडिया पर भी बिहार चुनाव को लेकर चर्चा तेज है। विपक्षी समर्थक कह रहे हैं कि 'बीजेपी 20% वोटर लिस्ट से नाम काटकर चुनाव जीतना चाहती है,' जबकि बीजेपी समर्थक इसे 'विपक्ष की हताशा' बता रहे हैं। हाल ही में तेजस्वी यादव के काफिले पर हुए हमले और बढ़ती आपराधिक घटनाएं माहौल को और तनावपूर्ण बना रही हैं.