बिहार विधानसभा चुनाव 2025: छोटे दलों की बढ़ती मांगें और तेजस्वी यादव की चुनौती

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी
Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं। इस बार छोटे दलों की मांगें मुख्य चर्चा का विषय बन गई हैं, जो मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं। एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों में ऐसे दलों की संख्या बढ़ती जा रही है। एनडीए में लगभग तीन छोटे दल हैं, जबकि इंडिया गठबंधन में वाम दल और वीआईपी जैसे छोटे नेता बड़ी पार्टियों के लिए चुनौती बन गए हैं।
छोटे दलों की सीटों की मांग
सहनी-माले ने मांगी कितनी सीटें?
इंडिया गठबंधन में छोटे दलों की महत्वाकांक्षाएं अब स्पष्ट हो गई हैं। इसमें भाकपा (माले), भाकपा, भाकपा (एम), वीआईपी और एलजेपी जैसी पार्टियां शामिल हैं। हाल ही में हुई बैठक में सीट बंटवारे पर चर्चा हुई, लेकिन भाकपा माले ने 45 सीटों की मांग की है। वहीं, वीआईपी के मुकेश सहनी 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुकेश सहनी ने पहले केवल 10-11 सीटों पर चुनाव लड़ा है, ऐसे में 60 सीटों की मांग करना असामान्य है। पिछले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने सभी चार सीटों पर हार का सामना किया था।
भाकपा माले की यात्रा
सीपीआई माले के अध्यक्ष दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि उनकी पार्टी 12 से 27 जून तक 'बदलो सरकार बदलो बिहार' नामक यात्रा निकालने जा रही है। इस यात्रा का उद्देश्य बिहार में पार्टी का जनाधार बढ़ाना है, जो मगध और चंपारण क्षेत्र से शुरू होगी।
तेजस्वी यादव की चुनौती
सहनी-माले की डिमांड कैसे पूरी करेंगे तेजस्वी?
2020 के चुनाव में आरजेडी ने 243 सीटों में से 144 पर चुनाव लड़ा था, जबकि कांग्रेस ने 70, सीपीआई माले ने 19, सीपीआई ने 6 और सीपीएम ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा था। ऐसे में तेजस्वी यादव के लिए माले और मुकेश सहनी की मांगें पूरी करना आसान नहीं होगा। छोटे दल अक्सर अपनी पहचान बनाए रखने और चुनावी सुर्खियां बटोरने के लिए अधिक सीटों की मांग करते हैं। मुकेश सहनी लगातार डिप्टी सीएम बनने की इच्छा जता रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी यादव इन सभी मांगों को कैसे पूरा करते हैं।
एनडीए में भी सीटों की मांग
न काडर, न कार्यकर्ता फिर भी चाहिए ज्यादा सीटें
एनडीए में भी जीतनराम मांझी और चिराग पासवान लगातार सीटों की मांग कर रहे हैं। इन नेताओं के पास न तो कार्यकर्ता हैं और न ही काडर, फिर भी वे अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने सीट बंटवारे से नाराज होकर अलग चुनाव लड़ा था, और परिणामस्वरूप केवल एक सीट पर जीत हासिल की थी। अब सवाल यह है कि क्या बीजेपी और आरजेडी जैसी पार्टियां इन छोटे दलों के साथ समझौता करेंगी?