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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: जातीय समीकरणों के आधार पर उम्मीदवारों का चयन

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सभी 243 सीटों पर उम्मीदवारों का चयन अब स्पष्ट हो चुका है। प्रमुख दलों ने जातीय और सामाजिक समीकरणों को प्राथमिकता दी है। आरजेडी ने मुस्लिम-यादव समीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है, जबकि जेडीयू और बीजेपी ने अपने-अपने जातीय संतुलन को बनाए रखा है। चुनावी मैदान सज चुका है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जातीय गणित किसे सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाता है।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: जातीय समीकरणों के आधार पर उम्मीदवारों का चयन

बिहार चुनाव 2025 की तैयारी


Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सभी 243 सीटों पर उम्मीदवारों की तस्वीर अब पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिससे चुनावी मुकाबला अब पूरी तरह से राजनीतिक धरातल पर उतर आया है। इस बार प्रमुख राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारों के चयन में जातीय और सामाजिक समीकरणों को प्राथमिकता दी है। चाहे वह राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल यूनाइटेड (JDU) या भारतीय जनता पार्टी (BJP) हो, सभी ने जातिगत आधार पर टिकट वितरण किया है।


आरजेडी का मुस्लिम-यादव समीकरण

आरजेडी का MY समीकरण पर फोकस
राष्ट्रीय जनता दल ने 143 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा है, जिनमें से अधिकांश टिकट मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण के तहत दिए गए हैं। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी ने 51 यादव और 19 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास किया है। लगभग 50 प्रतिशत टिकट इसी आधार पर आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा, आरजेडी ने सामान्य वर्ग से 14, कुशवाहा जाति से 11 और कुछ अति पिछड़ा व दलित उम्मीदवारों को भी टिकट देकर सामाजिक संतुलन बनाने की कोशिश की है।


जेडीयू का पिछड़ा-अति पिछड़ा मॉडल

जेडीयू का "पिछड़ा-अति पिछड़ा" मॉडल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू ने 101 उम्मीदवारों में से 37 पिछड़ा वर्ग और 22 अति पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशी उतारे हैं, जिससे उनके पुराने सामाजिक समीकरण को बनाए रखा गया है। इसमें कुशवाहा जाति से 13, कुर्मी से 12, यादव से 8 और धानुक जाति से 8 उम्मीदवार शामिल हैं। जेडीयू ने सामान्य वर्ग से भी 22 उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जिनमें भूमिहार (9), राजपूत (10), ब्राह्मण (1) और कायस्थ (1) शामिल हैं।


बीजेपी का जातीय संतुलन

बीजेपी का फोकस – ऊपरी जातियों और ओबीसी संतुलन
भारतीय जनता पार्टी ने भी जातीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए 101 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इनमें से 49 सामान्य वर्ग के प्रत्याशी हैं, जिनमें 21 राजपूत, 16 भूमिहार, 11 ब्राह्मण और 1 कायस्थ शामिल हैं। इसके अलावा, 24 पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को भी टिकट दिया गया है।


अन्य दलों की रणनीति

अन्य दलों ने भी साधा सामाजिक समीकरण
महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, वीआईपी और वाम दलों ने भी अपने उम्मीदवारों के चयन में जातीय समीकरण को प्राथमिकता दी है। एनडीए में चिराग पासवान (एलजेपी), जीतन राम मांझी (हम) और उपेंद्र कुशवाहा (रालोसपा) जैसे नेता भी अपने जातीय आधार को ध्यान में रखकर टिकट बांटते नजर आए हैं।


जातीय गणित की भूमिका

जाति की गणित से जीत की रणनीति
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं। यही कारण है कि आरजेडी, बीजेपी और जेडीयू जैसे प्रमुख दलों ने अपने प्रत्याशियों के चयन में सामाजिक समीकरण का पूरा ध्यान रखा है। अब देखना यह है कि 14 नवंबर को चुनाव परिणामों में यह जातीय संतुलन किसे सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाता है।