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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: महागठबंधन का सामाजिक समीकरण और रणनीति

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन ने अपने सामाजिक समीकरण को मजबूत करने के लिए नई रणनीतियों का सहारा लिया है। कांग्रेस और राजद ने अपने पारंपरिक वोट बैंक के साथ-साथ अन्य वर्गों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों की सूची तैयार की है। इस बार अति पिछड़ा वर्ग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो बिहार की आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। जानें इस चुनाव में महागठबंधन की क्या रणनीतियाँ हैं और कैसे वे विभिन्न सामाजिक समूहों को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: महागठबंधन का सामाजिक समीकरण और रणनीति

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की तैयारी


Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए के खिलाफ महागठबंधन ने अपने सामाजिक समीकरण को मजबूत करने का प्रयास किया है। इसमें मुख्य रूप से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस ने अपने पारंपरिक वोट बैंक के साथ-साथ सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों की सूची बनाई है। इसके अलावा, वाम दलों ने भी अपने आधार वोटरों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों का चयन किया है।


कांग्रेस की चुनावी रणनीति

कांग्रेस ने 50 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। इसमें सवर्णों को प्राथमिकता देते हुए 19 सीटों पर भूमिहार, ब्राह्मण और राजपूत उम्मीदवारों को उतारा गया है। इसके साथ ही, पिछड़ा वर्ग से 10, अति पिछड़ा वर्ग से 6 और 5 मुस्लिम उम्मीदवार भी शामिल हैं। अनुसूचित जाति के 9 और अनुसूचित जनजाति के 1 उम्मीदवार को भी टिकट दिया गया है। पार्टी का उद्देश्य यह है कि सवर्ण, दलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा और मुस्लिम समाज के वोटर अपनी भूमिका निभाएं।


आरजेडी का जनाधार

राष्ट्रीय जनता दल ने अपनी 51 सीटों की सूची में आधे से अधिक उम्मीदवार यादव समाज से चुने हैं। इसके अलावा, पार्टी ने 6 मुस्लिम उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है। राजद का लक्ष्य पारंपरिक यादव और मुस्लिम वोटरों के साथ अति पिछड़ा वर्ग और अन्य सामाजिक समूहों को जोड़ना है।


वामदलों और वीआईपी की भूमिका

वामदलों ने 29 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। इनमें से 15 सीटों पर पिछड़ा वर्ग को टिकट दिया गया है। दलों ने एक अति पिछड़ा, आठ दलित और दो मुस्लिम उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है। वाम दल कांग्रेस और राजद के साथ महागठबंधन का हिस्सा हैं। वीआईपी ने भी अपनी सीमित संख्या में अति पिछड़ा वर्ग और अन्य वर्गों को प्राथमिकता दी है।


अति पिछड़ा वर्ग पर ध्यान केंद्रित

महागठबंधन इस बार विशेष रूप से अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को साधने पर जोर दे रहा है। बिहार में यह वर्ग लगभग 36 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करता है और एनडीए, विशेषकर जदयू, के लिए पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है। राहुल गांधी और अन्य महागठबंधन नेताओं ने इस वर्ग के साथ संवाद और बैठकें की हैं ताकि उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सके।


2020 चुनाव में सवर्ण उम्मीदवारों की संख्या

पिछले चुनावों में कांग्रेस ने 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें सबसे अधिक सवर्ण 34 थे। मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या 10 और दलित 13 थी। पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग को क्रमशः 10 और 3 सीटों पर मौका मिला था। इस बार कांग्रेस और राजद ने अपने सामाजिक समीकरण को और संतुलित करने का प्रयास किया है।