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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: महागठबंधन में सीट बंटवारे की चर्चा तेज

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे पर चर्चा तेज हो गई है। हाल ही में हुई बैठक में कांग्रेस ने 66 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया, जबकि RJD ने छोटे दलों को भी सीटें देने की बात की। जानें इस बैठक में क्या महत्वपूर्ण बिंदु रहे और महागठबंधन की रणनीति क्या हो सकती है।
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महागठबंधन की बैठक और सीट बंटवारे पर चर्चा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में तेजी आई है, और महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे पर चर्चा जारी है। 6 सितंबर 2025 को पटना में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के सरकारी निवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में 243 विधानसभा सीटों के वितरण पर गहन विचार-विमर्श किया गया। सूत्रों के अनुसार, 15 सितंबर तक इस सीट बंटवारे की आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।


बैठक में कांग्रेस ने 66 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया, जो पिछले चुनावों में लड़ी गई 70 सीटों से कम है। हालांकि, RJD इस दावे को पूरी तरह से स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस को 50 से 55 सीटों के बीच संतोष करना पड़ सकता है, जबकि 46 सीटों को कांग्रेस के पक्के दावे के रूप में देखा जा रहा है। तेजस्वी यादव ने संकेत दिए हैं कि कांग्रेस को 46 सीटों से अधिक 10 सीटें बढ़ाने का विकल्प दिया जा सकता है, ताकि सभी दलों को उचित हिस्सेदारी मिल सके।


महागठबंधन में RJD ने यह स्पष्ट किया है कि छोटे दलों को भी सम्मानजनक सीटें दी जाएंगी। इसमें VIP के मुकेश सहनी, पशुपति कुमार पारस की पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) शामिल हैं। इसका मतलब यह है कि RJD और कांग्रेस को अपनी सीटों में से कुछ हिस्सेदारी इन छोटे दलों को देनी होगी। 2020 में कांग्रेस ने 19 सीटें जीती थीं और 27 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। इसे ध्यान में रखते हुए, RJD ने कांग्रेस को 46 सीटें पक्की मानते हुए, गठबंधन संतुलन के लिए अतिरिक्त 10 सीटें देने का प्रस्ताव रखा है।


RJD की योजना 140 सीटों पर चुनाव लड़ने की है, जबकि कांग्रेस 60 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की सोच रही है। महागठबंधन में अन्य दलों को भी सम्मानजनक सीटें देने के लिए कांग्रेस को कुछ सीटों से समझौता करना पड़ सकता है। तेजस्वी यादव की रणनीति यह है कि गठबंधन में संतुलन बनाए रखा जाए और सभी दलों को उनके अधिकार के अनुसार सीटें दी जाएं। इससे महागठबंधन में सहयोग की भावना मजबूत होगी और चुनावी समर में सामूहिक ताकत का निर्माण होगा।