बिहार विधानसभा चुनाव: RJD के रीतलाल यादव की जमानत याचिका खारिज, क्या होगा चुनाव प्रचार का भविष्य?
 
                           
                        दानापुर में चुनावी हलचल
दानापुर : बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारियों के तहत सभी राजनीतिक दलों ने अपने प्रचार को तेज कर दिया है। चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को आयोजित होंगे, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। इसी संदर्भ में, दानापुर विधानसभा क्षेत्र से राजद के उम्मीदवार रीतलाल यादव की जेल से चुनाव प्रचार के लिए औपबंधिक जमानत की याचिका पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा की एकलपीठ ने इस मामले में किसी भी प्रकार की राहत देने से मना कर दिया।
हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि रीतलाल यादव एमपी एमएलए कोर्ट से औपबंधिक जमानत के लिए स्वतंत्र हैं और उन्हें कानूनी प्रक्रिया अपनाने का अधिकार है।
राजद उम्मीदवार के रूप में नामांकन
RJD उम्मीदवार के रूप में किया था नामांकन 
जानकारी के अनुसार, रीतलाल यादव को दानापुर विधानसभा क्षेत्र से राजद के उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने के लिए भागलपुर जेल से पुलिस सुरक्षा में लाया गया था। उन्होंने सुरक्षा में रहते हुए अपने नामांकन पत्र जमा किए और फिर से जेल भेज दिए गए। इस प्रक्रिया के दौरान अदालत ने सुनिश्चित किया कि कानून और सुरक्षा का पालन हो।
चुनाव प्रचार के लिए जमानत की याचिका
चुनाव प्रचार के लिए औपबंधिक जमानत की याचिका
रीतलाल यादव ने चुनाव प्रचार के लिए चार सप्ताह की औपबंधिक जमानत देने की याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी। वरिष्ठ अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने अदालत को बताया कि विशेष परिस्थितियों के कारण यह याचिका प्रस्तुत की गई थी। उन्होंने कहा कि मतदान 6 नवंबर को होना है और उम्मीदवार को अपने क्षेत्र में प्रचार करने का अवसर मिलना चाहिए।
याचिका सुनवाई के योग्य नहीं
याचिका सुनवाई के योग्य नहीं 
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी. के. शाही ने अदालत को बताया कि याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है और आवेदक को सक्षम न्यायालय से जमानत प्राप्त करनी चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में हाईकोर्ट की ओर से सीधे राहत देने का स्थान नहीं है।
रीतलाल को लेना होगा औपबंधिक जमानत
रीतलाल को लेने होगी औपबंधिक जमानत 
इस निर्णय के बाद, रीतलाल यादव को अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए एमपी एमएलए कोर्ट से औपबंधिक जमानत लेने की प्रक्रिया अपनानी होगी। यह मामला बिहार विधानसभा चुनाव में जेल से उम्मीदवारों और उनकी कानूनी चुनौतियों का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है।
