बिहार विधानसभा चुनाव: आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे की जटिलता

आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट विवाद
आरजेडी बनाम कांग्रेस सीट विवाद: बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीतिक हलचल अब सीट बंटवारे के जटिल मुद्दे पर पहुंच चुकी है। महागठबंधन का नेतृत्व कर रही राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर तनाव बढ़ गया है। तेजस्वी यादव कांग्रेस को दिए गए प्रस्ताव पर अड़े हुए हैं, जबकि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस को सख्त रुख अपनाने का निर्देश दिया है। दिल्ली में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक भी दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बना सकी।
कांग्रेस की मांग
सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी ने कांग्रेस नेताओं के सामने स्पष्ट किया कि मौजूदा स्थिति में गठबंधन आगे नहीं बढ़ सकता। बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि वे देखेंगे और जवाब देंगे, और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे या राहुल गांधी से मिलने की आवश्यकता नहीं समझी। इसके बाद वे तुरंत पटना लौट गए।
पटना में लालू यादव ने बिना सीटों के फार्मूले को तय किए ही आरजेडी का चुनाव चिन्ह बांटना शुरू कर दिया। हालांकि, कहा जा रहा है कि जब तेजस्वी पहुंचे, तब कुछ चिन्ह वापस ले लिए गए। आरजेडी कांग्रेस को 61 सीटों की मांग स्वीकार करने के लिए तैयार है, लेकिन कांग्रेस उन सीटों की मांग कर रही है, जिन्हें देना आरजेडी के लिए स्वीकार्य नहीं है।
विवादित सीटें: कहलगांव, नरकटियागंज और अन्य
कुछ सीटों पर सहमति बनाने में विशेष जटिलता बनी हुई है: कहलगांव, नरकटियागंज, वारिसलीगंज, चैनपुर और बछवाड़ा। कहलगांव कांग्रेस का मजबूत गढ़ है, जहां वह हमेशा से सक्रिय रही है। नरकटियागंज में मुस्लिम आबादी अधिक है, जिससे कांग्रेस को मौके का भरोसा है। वारिसलीगंज में 2020 में कांग्रेस उम्मीदवार को बेहद कम अंतर से हार मिली थी। चैनपुर और बछवाड़ा पर अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।
मुकेश सहनी को लेकर सतर्कता
तेजस्वी यादव विशेष रूप से विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और मुकेश सहनी की भूमिका पर सतर्क दिख रहे हैं। आरजेडी के सूत्र मानते हैं कि सहनी भरोसेमंद नहीं हैं और अधिक मांगें कर रहे हैं। ऐसा भी माना जा रहा है कि सहनी बीजेपी के संपर्क में हैं।
महागठबंधन के अन्य नेताओं ने वीआईपी के बारे में तर्क दिया कि इस पर फैसला तेजस्वी ही लें। कांग्रेस के अंदर यह स्पष्ट है कि यदि तेजस्वी उन्हें गठबंधन से बाहर करना चाहें तो उन्हें समर्थन दिया जाएगा। मुकेश सहनी दिल्ली भी गए थे, लेकिन उन्होंने राहुल या खड़गे से मुलाकात नहीं की और वापस लौट गए।
कांग्रेस की रणनीति
राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस नेतृत्व को यह स्पष्ट किया कि वे सीटों पर समझौते के दौरान कमजोर न पड़ें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को वह सीट नहीं छोड़नी चाहिए जिसमें पार्टी को मजबूत प्रदर्शन की संभावना हो। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिहार कांग्रेस को निर्देश दिया कि 14 अक्टूबर तक इस मसले को सुलझाया जाए। खड़गे ने यह भी प्रस्ताव रखा कि अगर वीआईपी गठबंधन छोड़ दे, तो कांग्रेस की सीटें बढ़ाकर 65 तक की जाएं। कांग्रेस 61–63 सीटों पर संतुष्ट है, लेकिन उसने यह शर्त भी रखी है कि वे कम महत्वपूर्ण सीटों को स्वीकार नहीं करेंगे।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, उन्होंने पहले ही 51 मजबूत सीटों की पहचान कर ली है, जहाँ पार्टी को 50% तक सफलता का भरोसा है और केंद्रीय चुनाव समिति ने उन सीटों को मान्यता दी है।