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बिहार विधानसभा चुनाव: भाकपा माले ने 18 उम्मीदवारों की सूची जारी की

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच, भाकपा माले ने 18 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। यह कदम महागठबंधन में सीट बंटवारे पर असहमति को दर्शाता है। जानें कौन से प्रमुख चेहरे चुनावी मैदान में हैं और किस तरह से यह चुनावी रणनीति गठबंधन में हलचल पैदा कर रही है।
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बिहार विधानसभा चुनाव: भाकपा माले ने 18 उम्मीदवारों की सूची जारी की

बिहार चुनाव की तैयारी में भाकपा माले का कदम

Bihar Election: बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी करनी शुरू कर दी है। इसी क्रम में, CPI (ML) ने 18 उम्मीदवारों की एक सूची प्रस्तुत की है। उल्लेखनीय है कि महागठबंधन में सीट बंटवारे का मुद्दा अभी भी अनसुलझा है, और इससे पहले भाकपा माले ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इस कदम को राजनीतिक दबाव के रूप में देखा जा रहा है.


भाकपा माले की सीटों पर RJD और कांग्रेस की नजर

भाकपा माले की परंपरागत सीटों पर थी RJD और कांग्रेस की नजर!


रिपोर्टों के अनुसार, भाकपा माले ने जिन सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें कई ऐसे क्षेत्र शामिल हैं जिन पर राजद (RJD) और कांग्रेस की भी नजर थी। माले ने अपने मौजूदा विधायकों को फिर से टिकट देकर संगठन में एकता का संदेश दिया है। पार्टी ने पालीगंज, डुमराव, घोसी, अरवल, तरारी, दरौली, अगिआंव, बड़कागांव, फुलवरिया, आरा, मंझी, सिकटा, करहगर, डुमरिया, झाझा, मोकामा, मधुबन और परबतिया सीटों से अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है.


भाकपा माले का पुराना चेहरा फिर से मैदान में

यह ध्यान देने योग्य है कि जिन सीटों पर भाकपा माले ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें से कई सीटें परंपरागत रूप से वाम दलों का गढ़ मानी जाती हैं। पार्टी ने अपने पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है और उन्हें फिर से चुनावी मैदान में उतारा है। पालीगंज से संदीप सौरभ, घोसी से रामबली सिंह यादव, और डुमराव से अजीत कुशवाहा जैसे नाम पहले ही सामने आ चुके हैं। मांझी से डॉ. सत्येन्द्र यादव के नाम की घोषणा के बाद से गठबंधन में हलचल मच गई है.



महागठबंधन में सीट बंटवारे पर असहमति

महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर नहीं बन पा रही है आम सहमति?


भाकपा माले द्वारा उम्मीदवारों की घोषणा करना यह दर्शाता है कि महागठबंधन में सीट बंटवारे पर आम सहमति नहीं बन पा रही है। खबरों के अनुसार, कई ऐसी सीटें हैं जिन पर RJD और माले दोनों दावेदारी कर रहे थे, लेकिन बातचीत में देरी के चलते माले ने अपने प्रत्याशियों का नाम पहले ही घोषित कर दिया। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम गठबंधन के भीतर दबाव की राजनीति के रूप में देखा जा रहा है.