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बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा की रणनीतियाँ

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रबंधकों की नियुक्ति कर दी है। भाजपा ने अनुभवी नेताओं को चुना है, जबकि कांग्रेस ने वरिष्ठ पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया है। दोनों पार्टियों के बीच समानताएँ और भिन्नताएँ हैं, विशेषकर कार्यशैली में। भाजपा ने चुनावी रणनीतियों को लागू करना शुरू कर दिया है, जबकि कांग्रेस की भूमिका अभी तक स्पष्ट नहीं है। जानें इस चुनावी परिदृश्य में क्या हो रहा है और दोनों पार्टियों की तैयारी कैसे चल रही है।
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बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा की रणनीतियाँ

चुनाव प्रबंधकों की नियुक्ति

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने चुनाव प्रबंधकों की नियुक्ति कर दी है। भाजपा ने पहले तीन प्रमुख व्यक्तियों को नियुक्त किया है। धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव प्रभारी बनाया गया है, जबकि केशव प्रसाद मौर्य और सीआर पाटिल को सह प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया है। इसके बाद, कांग्रेस ने भी तीन वरिष्ठ पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। इनमें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पश्चिम बंगाल के पूर्व अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी शामिल हैं। भाजपा की ओर से संगठन के प्रभारी विनोद तावड़े हैं, जबकि कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावारू हैं। कांग्रेस ने टिकट वितरण के लिए एक छंटनी समिति भी बनाई है, जिसकी अध्यक्षता अजय माकन कर रहे हैं। इसके अलावा, पार्टी ने एक बड़ी प्रदेश चुनाव समिति का गठन भी किया है।


भाजपा और कांग्रेस की समानताएँ और भिन्नताएँ

भाजपा और कांग्रेस के चुनाव प्रभारियों में एक समानता यह है कि दोनों ने बिहार में पिछड़े और अति पिछड़े समुदाय के प्रतिनिधियों को आगे बढ़ाया है। हालांकि, समानता यहीं समाप्त हो जाती है। भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान का बिहार में काम करने का लंबा अनुभव है। वे राज्यसभा सांसद रह चुके हैं और 2014 के लोकसभा चुनाव में भी सक्रिय रहे हैं। इसके विपरीत, कांग्रेस की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षकों में ऐसा अनुभव नहीं है। जातिगत समीकरण के अनुसार, भाजपा ने एनडीए के कोईरी और कुर्मी समुदाय को मजबूत करने वाले प्रभारी नियुक्त किए हैं, जबकि कांग्रेस की नियुक्तियों में इस दिशा में कोई स्पष्टता नहीं है।


कार्यशैली में अंतर

एक महत्वपूर्ण अंतर कार्यशैली का है। कांग्रेस के तीनों वरिष्ठ पर्यवेक्षकों की भूमिका अभी तक स्पष्ट नहीं है। वहीं, भाजपा के चुनाव प्रभारी और सह प्रभारियों ने काम करना शुरू कर दिया है। धर्मेंद्र प्रधान ने जातिगत फॉल्टलाइन्स को दुरुस्त करने का कार्य प्रारंभ किया है और भोजपुरी फिल्म स्टार पवन सिंह को पार्टी में शामिल कर उपेंद्र कुशवाहा से उनकी मुलाकात कराई है। यह चुनाव पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाला कदम है। भाजपा के नेता जदयू के ललन सिंह, हम के जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा से भी मिलकर सीट बंटवारे पर चर्चा कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस के पर्यवेक्षक इस प्रक्रिया से दूर हैं।