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बिहार विधानसभा चुनाव: राजनीतिक प्रयोगों का केंद्र

बिहार विधानसभा चुनाव 2023 को 'मदर ऑफ ऑल इलेक्शन' कहा जाता है, जहां राजनीतिक प्रयोगों की भरपूरता और नागरिकों की जागरूकता देखने को मिलती है। इस बार चुनाव छठ पर्व के बाद हो रहे हैं, जिससे लोग अपने गांव लौटते हैं। एनडीए सरकार ने कानून व्यवस्था में सुधार और विकास की दिशा में कई योजनाएं लागू की हैं। वहीं, महागठबंधन में नेतृत्व को लेकर असमंजस बना हुआ है। बिहार के लोग विकास की निरंतरता चाहते हैं और 6 और 11 नवंबर को मतदान करेंगे।
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बिहार विधानसभा चुनाव: राजनीतिक प्रयोगों का केंद्र

बिहार विधानसभा चुनाव का महत्व

बिहार विधानसभा चुनाव को ‘मदर ऑफ ऑल इलेक्शन’ कहा जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि यहां राजनीतिक प्रयोगों की भरपूरता है। बिहार में सबसे अधिक नारे गढ़े जाते हैं और चुनाव प्रचार में लोगों की भागीदारी भी सबसे अधिक होती है। इस बार का चुनाव लोक आस्था के महापर्व छठ के तुरंत बाद हो रहा है।


बिहार की राजनीतिक जागरूकता

हालांकि बिहार जनसंख्या, क्षेत्रफल, जीडीपी या विधानसभा और लोकसभा सीटों की संख्या के मामले में सबसे बड़ा राज्य नहीं है, लेकिन यहां का विधानसभा चुनाव पूरे देश में चर्चा का विषय बन जाता है। बिहार की प्रति व्यक्ति आमदनी भले ही कम हो, लेकिन राजनीतिक समझ और जागरूकता में यह राज्य सबसे आगे है। यही कारण है कि इसे ‘मदर ऑफ ऑल इलेक्शन’ कहा जाता है।


छठ पर्व और चुनाव की समयावधि

इस बार छठ पर्व के बाद चुनाव होने से बिहार के लोग अपने गांव लौटते हैं। केंद्र और राज्य सरकार ने दिवाली और छठ के अवसर पर यात्रा को सुगम बनाने के लिए विशेष ट्रेनें और बसों की व्यवस्था की है। पिछले 20 वर्षों में बिहार में बुनियादी ढांचे में सुधार और अपराध में कमी देखी गई है।


अपराध की स्थिति में बदलाव

बिहार एक समय अपराध की राजधानी के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब स्थिति में सुधार हुआ है। एनडीए सरकार ने कानून व्यवस्था को बहाल किया और संगठित अपराध पर कड़ा प्रहार किया। इससे पलायन की प्रवृत्ति में कमी आई है और लोग वापस लौटने लगे हैं।


महिलाओं और युवाओं के लिए योजनाएं

नीतीश कुमार की सरकार ने महिलाओं के लिए 50% आरक्षण और युवाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। छात्र लोन को ब्याज मुक्त किया गया है और बेरोजगार स्नातकों को भत्ता दिया जा रहा है।


एनडीए की चुनावी तैयारी

चुनाव से पहले एनडीए ने सभी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि विपक्षी महागठबंधन में सीटों का बंटवारा अभी भी तय नहीं हुआ है। एनडीए का गठबंधन नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा, जबकि महागठबंधन में नेतृत्व को लेकर असमंजस बना हुआ है।


बिहार के नागरिकों की अपेक्षाएं

बिहार के लोग विकास की निरंतरता चाहते हैं और ‘जंगल राज’ की वापसी नहीं चाहते। वे 6 और 11 नवंबर को मतदान करेंगे ताकि डबल इंजन की सरकार को बनाए रखा जा सके।