बिहार विधानसभा में मिश्री लाल यादव की सदस्यता समाप्त, बीजेपी की स्थिति पर असर नहीं

मिश्री लाल यादव की सदस्यता रद्द
बिहार की राजनीतिक स्थिति में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है, जब भारतीय जनता पार्टी के विधायक मिश्री लाल यादव की विधानसभा सदस्यता को समाप्त कर दिया गया। यह कदम उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उठाया गया है। बिहार विधानसभा सचिवालय ने इस संबंध में आधिकारिक सूचना जारी की है, जिसके अनुसार अब मिश्री लाल यादव विधायक नहीं रह गए हैं। उन्हें न्यायालय से सजा मिलने के बाद यह कार्रवाई की गई।
पहले तीन विधायकों की सदस्यता रद्द
मिश्री लाल यादव चौथे विधायक हैं जिनकी सदस्यता किसी कारणवश रद्द की गई है। इससे पहले भाकपा माले के विधायक मनोज मंजिल, राजद के अनिल साहनी और अनंत सिंह की सदस्यता भी रद्द की जा चुकी है। यह स्पष्ट है कि विधानसभा अब विधायकों की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारियों के प्रति सख्त रुख अपनाए हुए है।
बीजेपी की स्थिति
हालांकि मिश्री लाल यादव की सदस्यता रद्द होने से बीजेपी को एक सीट का नुकसान हुआ है, लेकिन पार्टी 79 विधायकों के साथ बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनी हुई है। इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) 77 विधायकों के साथ दूसरे स्थान पर है। मिश्री लाल यादव को जिस मामले में सजा मिली, वह दरभंगा में मारपीट से संबंधित है। उन पर 29 जनवरी 2019 को अपने समर्थकों के साथ उमेश मिश्रा के साथ मारपीट करने का आरोप था। एमपीएमएलए कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी।
उपचुनाव की संभावना नहीं
मिश्री लाल यादव की सदस्यता समाप्त होने के बावजूद अली नगर में उपचुनाव नहीं होगा। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है, और अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने हैं। इस कारण यहां उपचुनाव की कोई आवश्यकता नहीं है।