बीएमसी चुनाव: महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़
बीएमसी चुनाव का महत्व
अगले वर्ष भारत में कई चुनाव होने वाले हैं, जिनका प्रभाव देश की राजनीतिक दिशा पर पड़ेगा। लेकिन सबसे पहले होने वाला चुनाव, जो सभी की नजरों में है, वह बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) का चुनाव है। बीएमसी के साथ-साथ महाराष्ट्र के 28 अन्य शहरी निकायों के चुनाव भी होंगे, लेकिन बीएमसी का चुनाव कई कारणों से विशेष महत्व रखता है।
पहला कारण यह है कि यह असली शिवसेना की परीक्षा होगी। दूसरा, इसके परिणाम यह तय करेंगे कि उद्धव ठाकरे की पार्टी का महाविकास अघाड़ी में क्या स्थान होगा। तीसरा, यह देखना होगा कि महाराष्ट्र, विशेषकर मुंबई में, भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति आगे बढ़ेगी या शिवसेना का ब्रांड हिंदुत्व पुनः स्थापित होगा।
भाजपा और शिवसेना का संघर्ष
भारतीय जनता पार्टी ने शिवसेना का विभाजन किया था, जिसका तात्कालिक कारण महाविकास अघाड़ी को सत्ता से हटाना था। लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से भाजपा का लक्ष्य शिवसेना की राजनीति को समाप्त करना था। भाजपा को यह पता था कि राज ठाकरे की राजनीति खत्म हो चुकी है, और यदि उद्धव ठाकरे भी समाप्त हो जाते हैं, तो हिंदुत्व की राजनीति का एकमात्र ब्रांड भाजपा बन जाएगी।
विधानसभा चुनाव के परिणाम यह दर्शाते हैं कि भाजपा ने अकेले बहुमत प्राप्त किया है। भाजपा की पूरी कोशिश होगी कि उद्धव और राज ठाकरे का गठबंधन न बनने पाए। यदि यह गठबंधन जीतता है, तो हिंदुत्व और मराठा मानुष की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है, जो भाजपा के लिए चुनौती बन सकता है।
ठाकरे परिवार की विरासत की पुनः प्राप्ति
यह चुनाव उद्धव और राज ठाकरे के लिए अपने परिवार की विरासत को पुनः प्राप्त करने का अवसर है। उन्हें यह साबित करना है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना असली नहीं है। बाल ठाकरे के समय से बीएमसी शिवसेना की असली ताकत रही है। यदि उद्धव और राज ठाकरे का गठबंधन जीतता है, तो ठाकरे परिवार की शक्ति फिर से स्थापित होगी, जिससे शिंदे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
बीएमसी चुनाव के परिणाम महाविकास अघाड़ी की राजनीति को भी प्रभावित करेंगे। ठाकरे बंधु एकजुट हो गए हैं, जबकि पवार परिवार भी एकता की कोशिश कर रहा है। इससे महाराष्ट्र में नया राजनीतिक समीकरण बन सकता है। यदि उद्धव और राज ठाकरे जीतते हैं, तो वे भाजपा के साथ भी गठबंधन कर सकते हैं।
