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बीजेपी अध्यक्ष चुनाव: क्या उत्तर प्रदेश के जातिगत समीकरणों का होगा असर?

बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया में जातिगत समीकरणों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है। दिल्ली में चल रही चर्चाओं के बीच, पार्टी को उत्तर प्रदेश में दलित और ओबीसी वोट बैंक के छिटकने की चिंता है। नए अध्यक्ष के चयन के लिए संगठनात्मक चुनावों की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है। क्या बीजेपी इस बार किसी खास चेहरे पर दांव लगाएगी? जानें पूरी जानकारी इस लेख में।
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बीजेपी अध्यक्ष चुनाव: क्या उत्तर प्रदेश के जातिगत समीकरणों का होगा असर?

बीजेपी के नए अध्यक्ष का चयन

BJP President Election:  बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया ने जोर पकड़ लिया है। दिल्ली में पिछले तीन दिनों से इस विषय पर गहन चर्चा चल रही है, जिसमें पार्टी नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच नए चेहरे को लेकर विचार-विमर्श हो रहा है। जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद बीजेपी संगठन में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरणों ने सियासी स्थिति को और जटिल बना दिया है। पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि नए अध्यक्ष के चयन में संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को भी बनाए रखा जाए। खासकर उत्तर प्रदेश में दलित और ओबीसी वोट बैंक के छिटकने के बाद बीजेपी सतर्क हो गई है, और इस बार अध्यक्ष पद के लिए किसी खास चेहरे पर दांव लगाने की संभावना जताई जा रही है.


दिल्ली में नए अध्यक्ष के लिए विचार-विमर्श

नए अध्यक्ष के लिए दिल्ली में माथापच्ची

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पिछले साल समाप्त हो चुका था। अब पार्टी नए नेतृत्व के चयन के लिए तेजी से काम कर रही है। दिल्ली में पिछले तीन दिनों से नेतृत्व के बीच लगातार बैठकें हो रही हैं। खबरों के अनुसार, 4 से 6 जुलाई तक दिल्ली में होने वाली आरएसएस की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक में नए अध्यक्ष के नाम पर अंतिम मुहर लग सकती है। इस बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहेंगे.


उत्तर प्रदेश में सियासी समीकरणों का जटिल पेंच

UP में सियासी समीकरणों का जटिल पेंच

उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा सियासी सूबा है, में बीजेपी के सामने नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर बड़ी चुनौती है। हाल के लोकसभा चुनाव में दलित और ओबीसी वोट बैंक के छिटकने से पार्टी सतर्क है। खबरों के मुताबिक, इस बार बीजेपी ब्राह्मण, दलित या ओबीसी चेहरों पर दांव लगाने की रणनीति पर काम कर रही है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है, और नए चेहरे के चयन के लिए लखनऊ से लेकर दिल्ली तक मंथन चल रहा है। पार्टी ने उत्तर प्रदेश में संगठनात्मक चुनावों की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसमें बूथ कमेटियों के गठन के बाद मंडल और जिला अध्यक्षों का चयन होगा. इसके बाद ही प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर अंतिम फैसला लिया जाएगा.


संगठनात्मक चुनावों में तेजी

संगठनात्मक चुनावों में तेजी

बीजेपी ने संगठनात्मक इकाइयों में से 14 राज्यों में चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली है। उत्तराखंड, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा हो सकती है। पार्टी संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम 19 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने जरूरी हैं। इसके लिए राज्यसभा सांसद के. लक्ष्मण को राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो इसको संचालित करेंगे। महाराष्ट्र में किरण रिजिजू, उत्तराखंड में हर्ष मल्होत्रा और पश्चिम बंगाल में रवि शंकर प्रसाद को चुनाव अधिकारी बनाया गया है। इन राज्यों में 2-3 जुलाई तक प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा की उम्मीद जताई जा रही है, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में यह प्रक्रिया 8-9 जुलाई तक चलेगी.