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बीजेपी में नेतृत्व संकट: उपराष्ट्रपति चुनाव और अध्यक्ष पद पर असमंजस

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके सहयोगी दलों को आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव और पार्टी अध्यक्ष पद के चयन में गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच सहमति बनाने में कठिनाई आ रही है। इस स्थिति में पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की भूमिका महत्वपूर्ण है, जबकि नए अध्यक्ष के नाम पर चर्चा जारी है। जानें इस राजनीतिक संकट की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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बीजेपी का राजनीतिक संकट

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके सहयोगी दलों को आगामी चुनावों के संदर्भ में एक गंभीर राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार चयन और पार्टी अध्यक्ष पद के मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच इस विषय पर सहमति बनाने में कठिनाई आ रही है, जिससे स्पष्ट निर्णय का अभाव है। हालांकि, इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।


पिछले सप्ताह, एनडीए की पार्टियों ने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा पर डाल दी। यह संकेत मिल रहा है कि नड्डा 9 सितंबर तक पार्टी अध्यक्ष बने रहेंगे, जब तक उपराष्ट्रपति चुनाव संपन्न नहीं हो जाते। यह स्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव लंबे समय से लंबित है। नड्डा इस पद पर तीन बार रह चुके हैं, और जून 2024 तक चुनाव संभावित हैं।


संगठन में चुप्पी और तकरार

इस मुद्दे पर एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति हो सकती है, क्योंकि वे उस व्यक्ति को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने में असमर्थ हो सकते हैं, जिसे नड्डा और पीएम मोदी ने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन की जिम्मेदारी दी है। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दृष्टिकोण में इस मामले को लेकर मतभेद हैं। यही कारण है कि बीजेपी में अध्यक्ष पद पर सहमति बनाने में कठिनाई आ रही है।


नए अध्यक्ष की संभावनाएं

बीजेपी और संघ के बीच अध्यक्ष पद को लेकर चर्चा जनवरी 2025 से शुरू हो गई थी। इस दौरान हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का नाम सामने आया था, लेकिन दिल्ली चुनावों के चलते यह प्रक्रिया कुछ समय के लिए रुक गई थी। सूत्रों का कहना है कि संघ कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर विचार कर रहा है, लेकिन इस पर बीजेपी और संघ के बीच सहमति नहीं बन पाई है। इसके साथ ही भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान जैसे सीनियर नेताओं के नाम भी इस चर्चा में शामिल हैं।


चुनावों में देरी का प्रभाव

पार्टी के भीतर चुनावों में देरी के कारण एक नई राजनीतिक स्थिति उत्पन्न हो गई है। बीजेपी का कहना है कि यूपी, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटका और दिल्ली जैसे राज्यों में चुनावों की प्रक्रिया के कारण पार्टी के अंदर चुनाव नहीं हो पाए। हालांकि, बीजेपी के अंदर संगठनात्मक चुनाव के लिए आधिकारिक रूप से 50% कार्यवाही पहले ही हो चुकी है, और फिर भी पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में देरी हो रही है।