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ब्रिटेन ने भारत को अंतरराष्ट्रीय दमन की सूची में शामिल किया

ब्रिटेन की संयुक्त मानवाधिकार समिति ने भारत को उन 12 देशों की सूची में शामिल किया है, जिन पर अंतरराष्ट्रीय दमन के सबूत मिले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई देशों ने ब्रिटेन में व्यक्तियों को चुप कराने के प्रयास किए हैं। इस रिपोर्ट में भारत के खिलाफ सिख्स फॉर जस्टिस संगठन से जुड़े सबूतों का भी उल्लेख किया गया है। जानें इस रिपोर्ट में और क्या कहा गया है और भारत की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है।
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ब्रिटेन ने भारत को अंतरराष्ट्रीय दमन की सूची में शामिल किया

भारत को मिला नया झटका

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ और जुर्माना लगाया है। इसके बाद, ब्रिटेन ने भी भारत को एक बड़ा झटका दिया है। ब्रिटिश संसदीय समिति ने बुधवार को चेतावनी दी कि विदेशी सरकारें ब्रिटेन में व्यक्तियों और समुदायों को चुप कराने और धमकाने के प्रयासों में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। ब्रिटेन की संयुक्त मानवाधिकार समिति ने 'ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय दमन' रिपोर्ट में भारत का नाम उन 12 देशों की सूची में शामिल किया है, जिनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दमन के सबूत मिले हैं। इस रिपोर्ट पर भारत की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।


मानवाधिकारों पर गंभीर चिंता

JCHR में ब्रिटिश संसद के विभिन्न दलों के सदस्य शामिल हैं, और इसका कार्य ब्रिटेन में मानवाधिकारों से संबंधित मामलों की जांच करना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति को 'विश्वसनीय साक्ष्य' प्राप्त हुए हैं कि कई देश ब्रिटेन की धरती पर दमनकारी गतिविधियों में संलिप्त हैं, जिससे लक्षित लोगों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है, उनके डर को बढ़ाया गया है, और उनकी अभिव्यक्ति तथा आवागमन की स्वतंत्रता को सीमित किया गया है।


अंतरराष्ट्रीय दमन की सूची

लिस्ट में 12 देश कौन-कौन?

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की सुरक्षा एजेंसी MI5 द्वारा की जा रही जांच में 2022 से 48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें बहरीन, चीन, मिस्र, इरिट्रिया, भारत, ईरान, पाकिस्तान, रूस, रवांडा, सऊदी अरब, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात पर टीएनआर गतिविधियों का आरोप लगाया गया है।


खालिस्तानी संगठन का जिक्र

JCHR की रिपोर्ट में भारत का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि भारत के खिलाफ साक्ष्य सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) से जुड़े हैं, जो एक खालिस्तानी समर्थक संगठन है और जिसे भारत के UAPA अधिनियम के तहत गैरकानूनी घोषित किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उसे उन देशों के आचरण के बारे में साक्ष्य मिले हैं, जिन पर इंटरपोल तंत्र के 'व्यवस्थित दुरुपयोग' में शामिल होने के आरोप हैं।