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भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश: बिहार चुनाव से पहले महत्वपूर्ण निर्णय

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बिहार चुनाव की तैयारी में है और नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की खोज कर रही है। पार्टी के नेतृत्व में बदलाव की प्रक्रिया में देरी हो रही है, जिसका मुख्य कारण उपराष्ट्रपति चुनाव और महत्वपूर्ण राज्यों में अध्यक्षों की नियुक्ति है। वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्त होने वाला है, और भाजपा ने अगली पीढ़ी के नेताओं को मौका देने के लिए नई नीतियाँ अपनाई हैं। जानिए इस प्रक्रिया के पीछे की रणनीतियाँ और भाजपा की चुनावी तैयारी के बारे में।
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भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश: बिहार चुनाव से पहले महत्वपूर्ण निर्णय

भाजपा को नया नेतृत्व मिलने की संभावना

बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी नए नेतृत्व के साथ चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रही है, लेकिन चयन प्रक्रिया में देरी हो रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि पार्टी ने व्यापक विचार-विमर्श किया है। भाजपा और उसके वैचारिक मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेताओं ने 100 प्रमुख हस्तियों से संपर्क किया है।


उपराष्ट्रपति चुनाव का प्रभाव

उपराष्ट्रपति चुनाव की वजह से देरी


सूत्रों के अनुसार, पूर्व पार्टी प्रमुखों और वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ आरएसएस या भाजपा से जुड़े संवैधानिक पदों पर आसीन नेताओं से भी चर्चा की गई है। देरी का एक अन्य कारण 9 सितंबर को होने वाला उपराष्ट्रपति चुनाव है। भाजपा को इस चुनाव की उम्मीद नहीं थी, लेकिन जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद पार्टी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उसके उम्मीदवार, महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, अधिकतम वोटों से जीतें।


महत्वपूर्ण राज्यों में नेतृत्व की नियुक्ति

गुजरात-यूपी जैसे अहम राज्यों में अटकी नियुक्तियां


एक और कारण यह है कि भाजपा गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे महत्वपूर्ण राज्यों के अध्यक्षों की नियुक्ति में देरी कर रही है। सूत्रों ने पहले बताया था कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन से पहले सभी राज्यों के नेतृत्व में नए अध्यक्षों की नियुक्ति करना चाहती है। पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने से पहले उसकी 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इकाइयों में से कम से कम 19 का निर्वाचित प्रमुख होना चाहिए। पिछले महीने भाजपा ने 28 राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी कर ली थी। अब यूपी, गुजरात और कर्नाटक के अलावा हरियाणा, दिल्ली, झारखंड, पंजाब और मणिपुर में नियुक्तियां बाकी हैं।


नड्डा का कार्यकाल और नई नीति

नड्डा का कार्यकाल पूरा


वर्तमान भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं, जिन्हें जनवरी 2020 में चुना गया था। उनके तीन साल के कार्यकाल के बाद से उन्हें दो बार सेवा विस्तार मिल चुका है। पहला 2024 के लोकसभा चुनाव के कारण और दूसरा संगठनात्मक कार्य के चलते। मंडल प्रमुखों के चुनाव के लिए भी यही नीति अपनाई जा रही है। भाजपा ने अगली पीढ़ी के नेताओं को मौका देने के लिए उम्र सीमा 40 साल से कम रखी है।


जिला और प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार का कम से कम दस साल तक भाजपा का सक्रिय सदस्य होना आवश्यक है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि दूसरे दलों से आए नेताओं को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलने से भाजपा कार्यकर्ताओं में असंतोष उत्पन्न हो रहा है।