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भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति में देरी, उत्तर प्रदेश में चुनाव की तैयारी प्रभावित

भाजपा के कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति में देरी हो रही है, जिससे चुनावी तैयारियों पर असर पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश में, जहां विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं, वर्तमान अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, लेकिन नियुक्ति को सरकार में संभावित फेरबदल से जोड़ा जा रहा है। गुजरात में भी स्थिति जटिल है, जहां भाजपा को प्रदेश अध्यक्ष बदलने की आवश्यकता है। जानें इस मुद्दे पर और क्या चल रहा है।
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भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति में देरी, उत्तर प्रदेश में चुनाव की तैयारी प्रभावित

प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति में बाधाएं

भाजपा के कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति का मुद्दा अभी तक हल नहीं हुआ है, जिसके कारण संगठनात्मक चुनावों की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है। उत्तर प्रदेश, जहां मार्च 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं, इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और उनकी जगह नए अध्यक्ष की नियुक्ति की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विस्तृत चर्चा की, इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी उनकी मुलाकात हुई। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को बार-बार सरकार में संभावित फेरबदल से जोड़ा जा रहा है। जाट समुदाय के स्थान पर पिछड़ा या ब्राह्मण अध्यक्ष की नियुक्ति की चर्चा हो रही है, साथ ही मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव की बातें भी उठ रही हैं। इस कारण उत्तर प्रदेश में निर्णय नहीं हो पा रहा है।


गुजरात और अन्य राज्यों की स्थिति

गुजरात में स्थिति भी दिलचस्प है। वहां भाजपा का नियंत्रण मजबूत है, और एक उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत से कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। भाजपा को प्रदेश अध्यक्ष बदलने की आवश्यकता थी, इसलिए पिछले साल जून में नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार बनने पर सीआर पाटिल को केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। अब वे एक साल से अधिक समय से दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इसी तरह, तेलंगाना में प्रदेश अध्यक्ष जी किशन रेड्डी भी केंद्रीय मंत्री हैं और दोहरी भूमिका में हैं। भाजपा को यह तय करने में कठिनाई हो रही है कि किसी कट्टरपंथी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर ध्रुवीकरण की राजनीति की जाए या फिर एक मध्यमार्गी चेहरा नियुक्त किया जाए। मध्य प्रदेश में वीडी शर्मा का कार्यकाल भी समाप्त हो गया है, और झारखंड में बाबूलाल मरांडी विधायक दल के नेता बन गए हैं। वहां भाजपा को यह तय करना है कि मरांडी की जगह पिछड़ा, दलित या सवर्ण अध्यक्ष बनाया जाए। महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में निर्णय हो चुका है, जहां केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार और चंद्रशेखर बावनकुले भी दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।