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भाजपा ने नितिन नबीन को बनाया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, सवर्ण परंपरा जारी

भारतीय जनता पार्टी ने नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है, जो सवर्ण अध्यक्ष बनाने की परंपरा को बनाए रखता है। इस निर्णय के पीछे की राजनीति और भाजपा की कार्यशैली पर चर्चा की गई है। जानें कि कैसे मोदी और शाह की रणनीतियों ने इस नियुक्ति को प्रभावित किया। क्या यह बदलाव भाजपा के लिए नई दिशा दिखाएगा? पढ़ें पूरी जानकारी के लिए।
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भाजपा ने नितिन नबीन को बनाया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, सवर्ण परंपरा जारी

नितिन नबीन का कार्यकारी अध्यक्ष बनना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के मंत्री नितिन नबीन को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का निर्णय लिया है। इस घोषणा के बाद राजनीतिक हलकों में सन्नाटा छा गया है। पहले संघ और भाजपा के जानकारों ने दो या तीन संभावित नामों की चर्चा की थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, नामों की संख्या बढ़ती गई। एक समय तो आठ नामों की सूची भी सामने आई, लेकिन उस सूची में नितिन नबीन का नाम नहीं था। मोदी और शाह की कार्यशैली को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक यह समझने में असमर्थ रहे कि किसी प्रमुख नेता को अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा।


भाजपा की सवर्ण अध्यक्ष बनाने की परंपरा

भारतीय जनता पार्टी ने पिछले दो दशकों में हमेशा सवर्ण नेताओं को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है। जिन्ना प्रकरण के बाद जब लालकृष्ण आडवाणी को हटाया गया, तब राजनाथ सिंह को अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद नितिन गडकरी, फिर राजनाथ सिंह, अमित शाह और जेपी नड्डा ने अध्यक्षता की। अब नितिन नबीन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है, और परंपरा के अनुसार, वे अगले साल जनवरी में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे। भाजपा के नेता यह भी कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की पहचान अति पिछड़ा समाज से होने के कारण, किसी अन्य पिछड़े नेता की आवश्यकता नहीं है।


राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका

जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, तो राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका का महत्व कम हो जाता है। किसी भी पार्टी के लिए जब वह सत्ता में होती है, तो संगठन का महत्व घट जाता है। भाजपा के एक नेता ने बताया कि राष्ट्रीय चुनावों में हमेशा मोदी का चेहरा होता है, इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष का कोई विशेष अर्थ नहीं होता। हालांकि, राज्य चुनावों में राज्य के नेतृत्व का चेहरा महत्वपूर्ण होता है। इसीलिए भाजपा राज्यों में पिछड़ी जातियों के नेताओं को आगे बढ़ा रही है।