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भाजपा में शामिल नेताओं को मिली नई जिम्मेदारी: मीडिया की प्रस्तुति पर सवाल

हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं अरविंदर सिंह लवली और राजकुमार चौहान को नई जिम्मेदारियां दी गई हैं। मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से छापा है, लेकिन क्या यह सही है कि इन नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी मिली है? इस लेख में हम इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि मीडिया की प्रस्तुति कैसे खबर के अर्थ को बदल सकती है।
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भाजपा में शामिल नेताओं को मिली नई जिम्मेदारी: मीडिया की प्रस्तुति पर सवाल

खबरों का प्रस्तुतीकरण और उसका अर्थ

कई साल पहले मैंने पढ़ा था कि किसी खबर को पेश करने का तरीका उसके अर्थ को बदल सकता है। उदाहरण के लिए, जब अमेरिका और रूस के धावकों के बीच दौड़ हुई, जिसमें अमेरिकी धावक ने जीत हासिल की, तो रूस में इसे इस तरह से प्रस्तुत किया जा सकता है कि रूसी धावक दूसरे स्थान पर रहा और अमेरिकी धावक केवल एक स्थान आगे था। इस प्रस्तुति में तथ्यात्मक रूप से कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन इसका अर्थ पूरी तरह से बदल जाता है। इसी तरह की एक खबर रविवार, तीन अगस्त को विभिन्न समाचार पत्रों में देखने को मिली। लगभग सभी प्रमुख समाचार पत्रों ने यह खबर प्रमुखता से छापी है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए दो नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं।


नई जिम्मेदारियों का विवरण

ये दो नेता हैं अरविंदर सिंह लवली और राजकुमार चौहान। लवली, जो गांधीनगर के विधायक हैं, को यमुना पार के विकास के लिए ट्रांस यमुना डेवलपमेंट बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, राजकुमार चौहान को विलेज डेवलपमेंट बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। मीडिया में इस खबर को तीन कॉलम में छापा गया है, जिसमें कहा गया है कि दोनों को बड़ी जिम्मेदारी मिली है। लेकिन क्या किसी को यह पता नहीं है कि लवली और चौहान पहले क्या थे? लवली 20 साल पहले दिल्ली सरकार के मंत्री रह चुके हैं और दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। राजकुमार चौहान भी उसी समय मंत्री थे और दिल्ली में कांग्रेस के दलित चेहरे के रूप में जाने जाते थे। दोनों तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के करीबी मंत्री थे। अब उनकी स्थिति यह है कि वे खुद बोर्ड के अध्यक्ष बने हैं, और मीडिया इसे बड़ी जिम्मेदारी के रूप में पेश कर रहा है!