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भाजपा में शामिल होंगे पूर्व कांग्रेस विधायक कैलास गोरांट्याल और सुरेश वरपुड़कर

भाजपा ने पूर्व कांग्रेस विधायकों कैलास गोरांट्याल और सुरेश वरपुड़कर को अपने पाले में लाने की योजना बनाई है। यह कदम 2024 और 2029 के चुनावों में भाजपा की स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। गोरांट्याल और वरपुड़कर का राजनीतिक अनुभव भाजपा के लिए एक लाभदायक स्थिति उत्पन्न कर सकता है। जानें इन नेताओं के बारे में और भाजपा की रणनीति के बारे में इस लेख में।
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भाजपा में शामिल होंगे पूर्व कांग्रेस विधायक कैलास गोरांट्याल और सुरेश वरपुड़कर

भाजपा की महायुति रणनीति

मुंबई में एक बैठक के दौरान, अमित शाह ने अक्टूबर 2024 में महायुति गठबंधन की जीत का दावा किया, साथ ही 2029 में भाजपा के अकेले सरकार बनाने की योजना का भी उल्लेख किया। भाजपा इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रही है। इस क्रम में, कांग्रेस के दो पूर्व विधायक, कैलास गोरांट्याल और सुरेश वरपुड़कर, भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। इन दोनों नेताओं का पार्टी में प्रवेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण की उपस्थिति में मुंबई में होगा।


कैलास गोरांट्याल और सुरेश वरपुड़कर का परिचय

कैलास गोरांट्याल, जो महाराष्ट्र के जालना विधानसभा क्षेत्र से तीन बार कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं, 1999, 2009 और 2019 में चुनाव जीत चुके हैं। वहीं, सुरेश वरपुड़कर का राजनीतिक अनुभव और भी व्यापक है। वे 1998 में परभणी लोकसभा सीट से सांसद रहे और चार बार सिंगनापुर विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। 2019 में, उन्होंने पाथरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी।


विधानसभा सीटों की वर्तमान स्थिति

इस बार जालना विधानसभा सीट पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना के उम्मीदवार अर्जुन खोतकर ने कांग्रेस के कैलास गोरांट्याल को हराया है। वहीं, पाथरी विधानसभा सीट पर एनसीपी (अजीत पवार गुट) के राजेश विटेकर ने सुरेश वरपुड़कर को हराया। इस प्रकार, वर्तमान में जालना और पाथरी दोनों विधानसभा सीटें भाजपा के सहयोगी दलों, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजीत गुट) के पास हैं।


भाजपा की रणनीति

भाजपा इन अनुभवी पूर्व विधायकों को अपने पाले में लाकर मराठवाडा में कांग्रेस की स्थिति को कमजोर करना चाहती है। इसके साथ ही, यह उन्हें 2029 की विधानसभा चुनावों के लिए तैयार करने का भी प्रयास कर रही है। "शत प्रतिशत भाजपा" के मिशन को मजबूत करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम माना जा रहा है।