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भारत और अमेरिका के बीच तनाव: ट्रंप का बयान और मोदी की प्रतिक्रिया

भारत और अमेरिका के बीच हाल के तनाव पर चर्चा करते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी के प्रति अपनी मित्रता व्यक्त की, जबकि उन्होंने भारत की रूस से तेल खरीदने की नीति पर निराशा जताई। पीएम मोदी ने ट्रंप की भावनाओं की सराहना की और दोनों देशों के बीच सकारात्मक संबंधों की बात की। जानें इस स्थिति का क्या प्रभाव हो सकता है और आगे की संभावनाएं क्या हैं।
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भारत और अमेरिका के बीच तनाव: ट्रंप का बयान और मोदी की प्रतिक्रिया

भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव

अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के कारण 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी।


तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के दौरान, पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक तस्वीर साझा की, जिसमें उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह साझेदारी दीर्घकालिक और समृद्ध होगी।


हालांकि, एससीओ सम्मेलन में भारत और चीन के बीच बढ़ती नजदीकियों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति के तेवर थोड़े नरम दिखाई दिए हैं। ट्रंप ने कहा कि वह हमेशा पीएम मोदी के मित्र रहेंगे, जबकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें मोदी की कुछ नीतियों से असहमति है।


ट्रंप और मोदी के बीच संवाद

व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, ट्रंप ने पीएम मोदी को महान प्रधानमंत्री बताया और कहा, "मैं हमेशा पीएम मोदी का दोस्त रहूंगा।" हालांकि, उन्होंने यह भी व्यक्त किया कि उन्हें भारत की कुछ नीतियों से निराशा है।


कुछ घंटों बाद, पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर ट्रंप की भावनाओं की सराहना की और कहा कि भारत और अमेरिका के बीच एक सकारात्मक और दूरदर्शी साझेदारी है।


ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्हें भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने की प्रक्रिया से निराशा है। उन्होंने कहा कि भारत को यह समझना चाहिए कि अमेरिका ने उन पर बड़ा टैरिफ लगाया है।


भारत की प्रतिक्रिया

भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय भारत का है कि वह अपना तेल कहां से खरीदता है।


अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भी भारत के तेल आयात में रूस के कच्चे तेल की बढ़ती हिस्सेदारी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत को अपने बाजार को खोलने की आवश्यकता है।