भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में व्यावहारिक दृष्टिकोण

व्यापार वार्ता में प्रगति
वाशिंगटन: अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने भारत के व्यापार दृष्टिकोण को 'व्यावहारिक' करार दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों देश समझौते की दिशा में बातचीत कर रहे हैं। ग्रीर ने बताया कि भारतीय पक्ष ने एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया है और अमेरिका के प्रशासन के पहले दिन से ही व्यापार वार्ता जारी है। उन्होंने कहा, 'जब हम भारत में 50 प्रतिशत टैरिफ की बात करते हैं, तो उसका आधा हिस्सा वास्तव में व्यापार से संबंधित है। यह एक पारस्परिक टैरिफ है, और हम इसी पर समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं।'
बैठक के प्रमुख मुद्दे
22 सितंबर को न्यूयॉर्क में भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ग्रीर के बीच हुई मुलाकात के बाद ग्रीर का यह बयान आया है। सूत्रों के अनुसार, बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई और दोनों पक्षों को एक अंतरिम समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है। वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी सरकार के साथ 'रचनात्मक बैठकें' कीं।
समझौते की संभावनाएं
भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने संभावित समझौते की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया और एक पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते पर शीघ्रता से पहुंचने का निर्णय लिया। ग्रीर ने भारत पर रूसी तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात भी की, यह कहते हुए कि अमेरिका किसी संप्रभु राष्ट्र पर अपनी शर्तें थोपने का प्रयास नहीं कर रहा है।
भारत की ऊर्जा जरूरतें
उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने कभी भी इतना रूसी तेल नहीं खरीदा है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं है। ग्रीर ने यह भी बताया कि भारत यूक्रेन में संघर्ष समाप्त करने के अमेरिकी उद्देश्य को समझता है और अपनी ऊर्जा जरूरतों में बदलाव कर रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री की टिप्पणियाँ
इससे पहले, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की थी। रुबियो ने कहा कि भारत अमेरिका के लिए 'महत्वपूर्ण' है और व्यापार वार्ता का स्वागत किया। उन्होंने संकेत दिया कि ट्रंप प्रशासन रूसी तेल खरीदने पर भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को 'ठीक' करने के लिए तैयार हो सकता है।
यूरोपीय देशों की भूमिका
एनबीसी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में, रुबियो ने कहा कि भारत के संबंध में उठाए गए कदमों को पहले ही देखा जा चुका है। उन्होंने यूरोपीय देशों को यूक्रेन में संघर्ष समाप्त करने के लिए 'पर्याप्त कदम न उठाने' के लिए दोषी ठहराया।
भारत का रुख
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी भारत के रूसी ऊर्जा खरीदने के रुख को दोहराते हुए कहा कि 'इस मामले में कोई दोहरा मापदंड नहीं हो सकता।'