भारत का नया एयरबेस: चीन और पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी
भारत का नया एयरबेस और उसकी रणनीतिक महत्वता
जब पहाड़ों की चुप्पी छा जाती है, तो यह संकेत है कि हवा में तूफान आ रहा है। आज हम चर्चा करेंगे भारत के एक ऐसे कदम की जिसने चीन को हिला कर रख दिया है और पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है। लद्दाख में 13,000 फीट की ऊंचाई पर, एलएसी से महज 30 से 35 किलोमीटर दूर, भारत का नया न्यूमा एयरबेस अब पूरी तरह से कार्यशील हो चुका है। इसकी घोषणा एयर चीफ मार्शल ने की, जब उन्होंने खुद C130 जे सुपर हरक्यूलिस को इस ऊंचाई पर लैंड कराया। यह एयरबेस केवल एक एयरबेस नहीं है, बल्कि भारत की हिमालयी सुरक्षा का प्रतीक है। यह एक ऐसा शक्ति प्रदर्शन है, जिसने चीन को यह समझा दिया है कि भारत अब केवल रक्षा की नीति पर नहीं, बल्कि डोमिनेंस की नीति पर चल रहा है।
एयरबेस का निर्माण और उसकी विशेषताएँ
अधिकारियों के अनुसार, एयर चीफ मार्शल जीतेन्द्र मिश्रा भी इस परियोजना में शामिल थे। मुध-न्योमा एयरफोर्स स्टेशन 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह चीन के साथ विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से 23 किलोमीटर दूर है। इस 218 करोड़ रुपये की परियोजना का नेतृत्व सीमा सड़क संगठन (BRO) की महिला अधिकारियों के एक दल ने किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सितंबर 2023 में इस एयरबेस की आधारशिला रखी थी और तब उन्होंने कहा था कि यह सशस्त्र बलों के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा।
चीन की चुनौतियाँ और भारत की रणनीति
हाई एल्टीट्यूड में सबसे बड़ी समस्या यह है कि चीन के एयरक्राफ्ट जैसे होटांग, कस्कर और नगरी की ऊंचाई पर उड़ान भरने में कठिनाई होती है। इन एयरबेसों की समस्या यह है कि फाइटर जेट्स पूरी ईंधन और हथियारों के साथ उड़ान नहीं भर सकते। इसका परिणाम यह होता है कि चीन के फाइटर्स की कॉम्बैट क्षमता 30 से 40% तक गिर जाती है। दूसरी ओर, भारत ने उसी ऊंचाई पर एक ऑपरेशनल एयरबेस स्थापित कर दिया है, जिससे भारत को न केवल कोई नुकसान नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण लाभ मिल रहा है।
पाकिस्तान के लिए खतरा
लद्दाख से सीधा नजर गिलगित बाल्टिस्तान यानी पीओके पर जाती है। यह एयरबेस चीन और पाकिस्तान दोनों को कवर कर सकता है, जिससे पाकिस्तान को अपनी हरकतों पर दो बार सोचना पड़ेगा। अब न्यूमा एयरबेस पूरी तरह से ऑपरेशनल हो चुका है।
भारत की रणनीतिक स्थिति
भारत ने चीन की कमजोरी को एक रणनीतिक हथियार में बदल दिया है। लोग पूछते हैं कि जब पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच बातचीत हो रही थी, तो अचानक यह एयरबेस क्यों? क्योंकि जियोपॉलिटिक्स में शांति दिखाना और तैयारी रखना दो अलग बातें हैं। चीन पर भरोसा अब पूरी तरह से खत्म हो चुका है।
