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भारत का नया सैटेलाइट निगरानी प्रोजेक्ट: सुरक्षा में एक नई दिशा

भारत ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए एक नया सैटेलाइट निगरानी प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य विदेशी जासूसी गतिविधियों का समय पर पता लगाना है। बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप दिगंतारा को इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का कार्यभार सौंपा गया है। यह प्रणाली इसरो के मौजूदा सिस्टम से भिन्न होगी और विशेष रूप से रक्षा निगरानी के लिए डिज़ाइन की गई है। जानें इस प्रोजेक्ट की विशेषताएँ और इसके पीछे की रणनीति।
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भारत का नया सैटेलाइट निगरानी प्रोजेक्ट: सुरक्षा में एक नई दिशा

भारत का सैटेलाइट निगरानी नेटवर्क

भारत का सैटेलाइट निगरानी नेटवर्क: राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए, भारत अब अंतरिक्ष के माध्यम से दुश्मनों पर नजर रखने की योजना बना रहा है। रक्षा मंत्रालय एक नया सैटेलाइट सर्विलांस प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है, जिसका उद्देश्य विदेशी जासूसी गतिविधियों और संभावित खतरों का समय पर पता लगाना है। इस प्रोजेक्ट पर हर साल लगभग 150 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है और यह 2026 के अंत तक पूरी तरह से चालू हो जाएगा।

इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का कार्यभार बेंगलुरु स्थित स्पेस स्टार्टअप दिगंतारा को सौंपा गया है। इसे भारत में किसी निजी स्पेस कंपनी को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा सरकारी रक्षा ठेका माना जा रहा है।


विशेषताएँ जो दुश्मनों को चौंका देंगी

विशेषताएँ जो दुश्मनों को चौंका देंगी

इस सैटेलाइट नेटवर्क का मुख्य उद्देश्य विदेशी निगरानी और जासूसी गतिविधियों का तुरंत पता लगाना और उन पर प्रतिक्रिया देना है। यह प्रणाली इसरो के मौजूदा 'नेत्र' सिस्टम से भिन्न है, जो केवल अंतरिक्ष मलबे और सैटेलाइट की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करता है। नया सिस्टम विशेष रूप से रक्षा निगरानी के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है।

इन सैटेलाइट्स को इस प्रकार विकसित किया जाएगा कि वे आपस में संवाद कर सकें और देशभर के विभिन्न ग्राउंड स्टेशनों को वास्तविक समय में डेटा भेज सकें। इस पूरे सिस्टम का निर्माण और तकनीक घरेलू स्तर पर विकसित की जाएगी। बेंगलुरु में एक कंट्रोल सेंटर स्थापित करने की योजना है, जहां से इस ऑपरेशन की निगरानी की जाएगी।


निजी कंपनियों की भूमिका

निजी कंपनियों की भूमिका

यह परियोजना भारत के तेजी से विकसित हो रहे निजी अंतरिक्ष क्षेत्र में सरकार के बढ़ते विश्वास का प्रतीक है। दिगंतारा को पहले ही अमेरिकी रक्षा एजेंसी DARPA से अनुबंध मिल चुका है, और अब भारत में इसकी जिम्मेदारी बढ़ गई है। इसी तरह, भारतीय स्टार्टअप पिक्सल ने भी नासा के साथ साझेदारी की है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भारत की अंतरिक्ष आधारित रक्षा क्षमताओं को एक नई दिशा देगी। IN-SPACe के चेयरमैन पवन गोयनका के अनुसार, सरकार विभिन्न मंत्रालयों को घरेलू स्टार्टअप की सेवाएं लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। पूर्व इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि जिस प्रकार अमेरिका ने निजी अंतरिक्ष कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी सहायता प्रदान की, भारत भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।