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भारत का नेशनल डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन: ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम

भारत ने स्वतंत्रता दिवस पर नेशनल डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य समुद्र की गहराइयों में तेल और गैस के भंडार की खोज करना है। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि देश की ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात से पूरा होता है, जिससे आर्थिक नुकसान होता है। इस मिशन के तहत अंडमान-निकोबार जैसे नए क्षेत्रों में खोज की जाएगी, जिससे भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। जानें इस मिशन के महत्व और इसके संभावित प्रभाव के बारे में।
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भारत का नेशनल डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन: ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम

नेशनल डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन का उद्घाटन

नेशनल डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन: भारत ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से 'नेशनल डीप वॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन' की शुरुआत की घोषणा की। इसका मुख्य उद्देश्य समुद्र की गहराइयों में तेल और गैस के भंडार की खोज करना है, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके और अरबों डॉलर की आयात निर्भरता को कम किया जा सके।

प्रधानमंत्री ने बताया कि देश की 88% कच्चे तेल और लगभग आधी प्राकृतिक गैस की जरूरतें आयात से पूरी होती हैं, जिससे हर साल लाखों करोड़ रुपये विदेशी देशों को भेजने पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि यदि यह पैसा देश में निवेश किया जाता, तो गरीबी उन्मूलन, किसानों के कल्याण और ग्रामीण विकास में क्रांतिकारी बदलाव संभव हो सकता था।


भारत की ऊर्जा आयात पर निर्भरता

भारत की ऊर्जा आयात पर भारी निर्भरता

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत को अपनी 88% कच्चे तेल और लगभग 50% प्राकृतिक गैस की आवश्यकता विदेशों से पूरी करनी पड़ती है। कच्चा तेल पेट्रोल और डीजल में परिवर्तित होता है, जबकि प्राकृतिक गैस का उपयोग बिजली उत्पादन, उर्वरक निर्माण और सीएनजी ईंधन में किया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि हम ऊर्जा के लिए आयात पर निर्भर नहीं होते, तो यह पैसा हमारे किसानों, गांवों और गरीबों की जिंदगी में बदलाव लाने में मदद करता, लेकिन हमें यह विदेशी देशों को देना पड़ता है।


समुद्र मंथन के नए चरण की शुरुआत

‘समुद्र मंथन’ के नए चरण की शुरुआत

पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार अब देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के मिशन पर काम कर रही है। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हम अब 'समुद्र मंथन' के नए चरण में प्रवेश कर रहे हैं। इस प्रयास के तहत हम मिशन मोड में समुद्र की गहराइयों में तेल और गैस के भंडार तलाशेंगे। मोदी सरकार ने 2014 के बाद से खोज एवं उत्पादन नीति में बड़े बदलाव किए हैं। पुराने 'न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी' (NELP) की जगह 'ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी' (OALP) लाई गई और रिकॉर्ड क्षेत्रों को खोज कार्य के लिए खोला गया।

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने X पर लिखा- पिछले पांच सालों में 52 खोजें हुई हैं और 2014 से अब तक कुल 172, जिनमें 66 ऑफशोर हैं। 0.38 मिलियन वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र खोज के लिए आवंटित किया गया, जबकि 2009-2014 के बीच यह सिर्फ 82,327 वर्ग किलोमीटर था।


अंडमान-निकोबार: भारत का अगला ऊर्जा हॉटस्पॉट

अंडमान-निकोबार: भारत का अगला ऊर्जा हॉटस्पॉट

हाल ही में लगभग 10 लाख वर्ग किलोमीटर के 'नो-गो' क्षेत्रों को खोज के लिए खोला गया है, जिनमें अंडमान-निकोबार बेसिन जैसे नए डीप वॉटर फ्रंटियर्स शामिल हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा कि अंडमान-निकोबार: भारत का अगला तेल और गैस हॉटस्पॉट! इसका टेक्टोनिक सेटअप और म्यांमार व नॉर्थ सुमात्रा के सिद्ध पेट्रोलियम सिस्टम के निकट होना इसे वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक बनाता है।

हरीदीप सिंह पुरी ने भी कहा था कि अंडमान का पानी भारत के ऊर्जा भविष्य की कुंजी हो सकता है। वर्तमान OALP-X बिड राउंड में अंडमान बेसिन के लगभग 2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले 25 ब्लॉक्स खोज के लिए पेश किए गए हैं।