भारत की चुनावी प्रक्रिया पर उठे सवाल, विपक्ष ने खोला मोर्चा
चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
भारत की चुनावी प्रक्रिया, जिस पर विश्वभर में विश्वास किया गया है, अब सवालों के घेरे में आ गई है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर "मतदाता सूची में गड़बड़ी" और "वोट चोरी" के गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे राजनीतिक हलचल मच गई है। यह केवल एक राजनीतिक बयान नहीं रह गया है, बल्कि अब यह पूरे विपक्ष का साझा मुद्दा बन चुका है।क्या विपक्ष अब चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहा है? राहुल गांधी के आरोपों को अब 25 से अधिक विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त हो चुका है। इनमें तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके, झामुमो, सीपीआई, शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) जैसे कई क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल शामिल हैं। खास बात यह है कि टीएमसी के नेता अभिषेक बनर्जी की उपस्थिति कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है। हालांकि, आम आदमी पार्टी की अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी हुई है।
राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव, जो दशकों से चुनावी प्रक्रियाओं के पक्षधर रहे हैं, अब राहुल गांधी के दावों को लेकर गंभीर नजर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कर्नाटक की एक विधानसभा सीट पर लगभग एक लाख फर्जी वोटरों की जानकारी सामने आई है और पूरे देश में 15-20% तक वोटर लिस्ट में त्रुटियां हो सकती हैं। योगेंद्र यादव जैसे अनुभवी विश्लेषक का रुख बदलना आम मतदाता के लिए चिंता का विषय है।
कांग्रेस अब आक्रामक मोड में है। 11 अगस्त को कांग्रेस ने देशव्यापी रणनीति तय करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें AICC महासचिव, राज्यों के प्रभारी और सभी संगठन प्रमुख शामिल होंगे। पार्टी की योजना है कि इस मुद्दे को "लोकतंत्र के अपमान" के रूप में जनता के बीच ले जाकर व्यापक विरोध दर्ज कराया जाए।
शशि थरूर, जो हाल के दिनों में पार्टी लाइन से अलग रुख अपनाते रहे हैं, इस बार राहुल के साथ खड़े नजर आए हैं। उनका कहना है कि वोटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बहाल करने के लिए जांच आवश्यक है। अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में 18,000 वोटरों के नाम जानबूझकर हटाए जाने का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि उन्होंने हलफनामों सहित शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
चंद्रशेखर आज़ाद ने भी राहुल के आरोपों का समर्थन किया है और कहा कि "वोटिंग लोकतंत्र का सबसे बड़ा हथियार है। इसकी निष्पक्षता संदेह के घेरे में नहीं आनी चाहिए।" प्रियंका गांधी वाड्रा ने सवाल उठाया कि जब सांसदों द्वारा लिए गए शपथ से बड़ा कोई सत्यापन नहीं है, तो चुनाव आयोग बार-बार हलफनामा क्यों मांग रहा है? राजद नेता मनोज झा ने इसे 'वोट चोरी' नहीं, बल्कि 'लोकतांत्रिक डकैती' करार दिया। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह केवल राजनीतिक आरोप नहीं, बल्कि आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट है। मीडिया को भी अब लोकतंत्र की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।