भारत की भागीदारी से गाजा शांति सम्मेलन में नई उम्मीदें

गाजा शांति सम्मेलन में भारत की भूमिका
गाजा शांति सम्मेलन: मिस्र के शर्म अल शेख में आयोजित होने वाले गाजा शांति सम्मेलन में भारत की भागीदारी सुनिश्चित हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह को अपना विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया है। यह कदम भारत की वैश्विक भूमिका को उजागर करता है और पश्चिम एशिया में शांति प्रक्रिया में योगदान देने का संकेत देता है।
सम्मेलन की सह-अध्यक्षता
इस शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप करेंगे। इसमें लगभग 20 वैश्विक नेता शामिल होंगे, जिनमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीअर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस शामिल हैं। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य गाजा पट्टी में हालिया संघर्ष के बाद स्थायी युद्धविराम और पश्चिम एशिया में स्थिरता सुनिश्चित करना है।
भारत का प्रतिनिधित्व
सूत्रों के अनुसार, भारत ने पीएम मोदी की उपस्थिति के बजाय कीर्ति वर्धन सिंह को प्रतिनिधि भेजने का निर्णय लिया है। यह निर्णय विशेष रूप से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सम्मेलन में शामिल होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। भारतीय पक्ष चाहता था कि कोई अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न न हो, और भारत का संदेश संतुलित और सकारात्मक रहे।
सिंह ने ट्वीट किया, 'शर्म अल-शेख में गाजा शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विशेष प्रतिनिधि के रूप में मैं ऐतिहासिक शहर काहिरा पहुंच गया हूं।'
गाजा में हालात और शांति प्रयास
गाजा में युद्धविराम शुक्रवार से लागू हुआ है। इससे पहले, 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायली शहरों पर हमला किया था, जिसमें लगभग 1200 लोग मारे गए। इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर आक्रमण शुरू किया। हमास ने 251 लोगों को बंधक बनाया, जिनमें अभी भी 50 से अधिक कैदी हैं।
गाजा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायली सैन्य अभियानों में अब तक 66,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं। यह शिखर सम्मेलन राष्ट्रपति ट्रंप की गाजा शांति योजना के पहले चरण के लागू होने के कुछ दिनों बाद हो रहा है। उम्मीद है कि हमास लगभग 20 जीवित बंधकों को सोमवार सुबह रिहा करेगा।
सम्मेलन का वैश्विक महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सम्मेलन न केवल गाजा पट्टी में स्थायी शांति के लिए आवश्यक है, बल्कि पश्चिम एशिया में व्यापक राजनीतिक संतुलन बनाने का भी प्रयास है। वैश्विक नेताओं की उपस्थिति इस बात को दर्शाती है कि संघर्ष के समाधान में अंतरराष्ट्रीय समर्थन और दबाव कितना महत्वपूर्ण है।