भारत की रक्षा नीति में बदलाव: रूस से हथियारों की निर्भरता कम

भारत ने आईएनएस तमाल को कमीशन किया
हाल ही में भारत ने आईएनएस तमाल को कमीशन किया है, जो एक मल्टीरोल फ्रीगेड है। यह रूस की शिपयार्ड द्वारा निर्मित अंतिम फ्रीगेड है, जिसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है। अब रूस से कोई नई फ्रीगेड कमीशन करने की योजना नहीं है। पहले, भारत का 90 प्रतिशत रक्षा निर्यात रूस से होता था, जो 2009 में 76 प्रतिशत तक गिर गया और अब 2024 तक यह 36 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है। इस प्रकार, भारत की रूस पर निर्भरता कम हो रही है।
फ्रांस और अमेरिका से बढ़ती निर्भरता
भारत अब फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों से हथियार खरीदने की दिशा में बढ़ रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत केवल रूस पर निर्भर न रहे। भारत ने रूस से फ्रीगेड और टैंकों की कमीशनिंग बंद कर दी है और सुखोई 57 जैसे प्रस्तावों को भी ठुकरा दिया है। इस स्थिति में सवाल उठता है कि यदि भारत रूस से हथियार नहीं लेगा, तो उसकी अगली रणनीति क्या होगी?
स्वदेशी विकास पर जोर
भारत अब अपने रक्षा कार्यक्रमों में स्वदेशी विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, विशेषकर उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) पर। भारतीय वायुसेना को केवल स्टेल्थ फाइटर की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उसे विशेष रूप से दो सीटों वाले, दो इंजन वाले स्टेल्थ फाइटर की आवश्यकता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि FGFA परियोजना, जिसे भारत और रूस ने मिलकर विकसित करने की योजना बनाई थी, को भारत ने कई कमियों के कारण छोड़ दिया।
भविष्य की संभावनाएं
हालांकि भारत ने FGFA परियोजना में भागीदारी को निलंबित कर दिया है, लेकिन उसने भविष्य में विमान खरीदने का विकल्प खुला रखा है। 2018 में, रक्षा मंत्री ने कहा था कि रूस को सूचित किया गया था कि वे बिना भारत के लड़ाकू विमान विकसित कर सकते हैं। लेकिन विकल्प अभी भी बना हुआ है।
Su-57 का प्रदर्शन
2019 में, वायु सेना प्रमुख ने कहा था कि भारत Su-57 को कार्रवाई में देखने के बाद निर्णय लेगा। इस विमान का प्रदर्शन संघर्ष क्षेत्रों में सराहनीय रहा है, और इसकी सुपरक्रूज़ क्षमता की चिंताओं को भी दूर किया जा रहा है।