भारत की विदेश नीति: विश्व में बढ़ती असहिष्णुता और बाजार की स्थिति

भारत की वैश्विक स्थिति पर सवाल
हालांकि कोई इसे स्वीकार नहीं करना चाहता, लेकिन यह सत्य है कि भारत अब विश्व राजनीति में एक उपेक्षित स्थिति में है। भले ही हम 22 मिनट के 'ऑपरेशन सिंदूर' पर गर्व करें, लेकिन वैश्विक मंच पर भारत की वास्तविकता उजागर हो गई है। न तो पुतिन, न शी जिनफिंग और न ही डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन अब हमारे पास है। सभी ने समझ लिया है कि भारत केवल एक बाजार है। यदि पाकिस्तान पर एक छोटे से सैनिक ऑपरेशन के बाद भी भारत को ट्रंप की मध्यस्थता पर भरोसा है, तो वह न तो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पश्चिम का सहयोगी बन सकता है और न ही चीन के खिलाफ खड़ा हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति की असफलता
प्रधानमंत्री मोदी और भारत की सुरक्षा-सामरिक कूटनीति की असलियत अब दुनिया के सामने आ चुकी है। विश्व नेता समझ गए हैं कि मोदी को फोटोशूट के अवसरों की तलाश है। अब वे भारत के बाजार में व्यापार करने के लिए बैठकें करेंगे, लेकिन सुरक्षा और भूराजनीति के मामलों में भारत को कोई महत्व नहीं देंगे। पश्चिमी देशों को चीन, रूस और उत्तर कोरिया के गठजोड़ के खिलाफ एक सच्चे साथी की आवश्यकता है, न कि अवसरवादी भारत की।
भारत की स्थिति और पाकिस्तान का समर्थन
यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। पहले दक्षिण एशिया में चीन के प्रभाव के कारण नेपाल और बांग्लादेश ने भारत से दूरी बना ली। अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद, दुनिया भारत के बजाय पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी समिति का प्रमुख बना रही है। इसके अलावा, भारत की हर कोशिश के बावजूद पाकिस्तान को वैश्विक आर्थिक संस्थाओं से लगातार सहायता मिल रही है।
मोदी की विदेश नीति की आलोचना
प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति ने पिछले ग्यारह वर्षों में विश्व शक्तियों को यह संदेश दिया है कि कोई भी उन्हें धोखा देने से नहीं बचा। पश्चिम के सामने चीन के प्रति दुश्मनी दिखाते हुए, अडानी और अंबानी के व्यापार को बढ़ावा दिया गया। रूस और ईरान से तेल खरीदकर, भारत ने पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को कमजोर किया।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन की कमी
स्पष्ट है कि भारत की विदेश नीति न तो तटस्थ थी और न ही निर्गुट। यह केवल अंबानी और अडानी के व्यापारिक हितों को बढ़ावा देने की रणनीति थी। जब भारतीय सेना ने 22 मिनट का ऑपरेशन किया, तो अमेरिका ने कहा कि उन्हें इससे कोई लेना-देना नहीं है। न ही चीन और खाड़ी के देशों ने भारत का समर्थन किया।