भारत की संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता की मांग पर वैश्विक समर्थन

संयुक्त राष्ट्र में बदलाव की आवश्यकता
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर बार-बार अपनी मांग दोहराई है कि इस संस्था में सुधार आवश्यक हैं। इस मांग के समर्थन में कई देशों ने भारत का साथ दिया है। न केवल अन्य देश, बल्कि स्वयं संयुक्त राष्ट्र भी भारत की इस मांग को मान्यता दे रहा है। भारत की भूमिका को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने स्पष्ट रूप से बताया है कि यह देश वैश्विक स्तर पर कितना महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में, संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारत की प्रशंसा की गई है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत लगातार यह कहता आया है कि संयुक्त राष्ट्र में बदलाव की आवश्यकता है, विशेषकर वीटो पावर के संदर्भ में, जो कुछ देशों के पास केंद्रित है।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन और सुधार की आवश्यकता
भारत ने कई बार इस तरह की मांगें उठाई हैं, और अब संयुक्त राष्ट्र भी इस बात को स्वीकार कर रहा है कि सुधारों की आवश्यकता है। यह उल्लेखनीय है कि भारत वर्षों से इस बदलाव की मांग कर रहा है और अब कई देश इस बात को मान रहे हैं। अमेरिका, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए हैं। कुछ देश तो भारत को स्थायी सदस्यता देने के पक्ष में हैं। संयुक्त राष्ट्र में इस मांग की गूंज बढ़ रही है। महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव का समर्थन
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए सुरक्षा परिषद में सुधार के पक्षधर हैं। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बताया कि महासचिव चाहते हैं कि सुरक्षा परिषद 1945 की दुनिया के बजाय 2025 की दुनिया का अधिक प्रतिनिधित्व करे। न्यूयॉर्क में चल रहे महासभा सत्र के दौरान उन्होंने यह बात कही।
स्थायी सदस्यता का निर्णय
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि स्थायी सदस्यता किन देशों को दी जाएगी, इसका अंतिम निर्णय संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को ही लेना है। उन्होंने कहा कि पुनर्जीवित सुरक्षा परिषद में कौन से देश शामिल होंगे और किन देशों को स्थायी सीट मिलेगी, यह सदस्य देशों के हाथ में है।