भारत की स्वतंत्र विदेश नीति: BRICS बैठक में जयशंकर की भागीदारी

भारत का स्पष्ट रुख
Jaishankar will attend BRICS meeting: हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ के बावजूद, भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और आर्थिक रणनीति को बनाए रखने का स्पष्ट संकेत दिया है। नई दिल्ली ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा, और अमेरिकी दबाव उसके निर्णयों को प्रभावित नहीं करेगा।
रूसी तेल का आयात जारी
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बताया कि भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं और आर्थिक मजबूरियों को देखते हुए रूसी तेल का आयात जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि तेल जैसी महत्वपूर्ण वस्तु के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन किया जाएगा, जो दरों और लॉजिस्टिक्स के दृष्टिकोण से सही हो। सीतारमण ने एक इंटरव्यू में कहा कि चाहे वह रूसी तेल हो या किसी अन्य देश से खरीद, यह हमारा अधिकार है कि हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सही स्रोत से आयात करें और विदेशी मुद्रा की बचत करें।
अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव
50 प्रतिशत तक का टैरिफ
यह ध्यान देने योग्य है कि अमेरिका ने भारत सहित कई देशों के उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाया है। इससे विशेष रूप से टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी सुधारों और सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे राहत उपायों से इन प्रभावों को कुछ हद तक संतुलित किया जा सकेगा। छोटे निर्यातकों और प्रभावित उद्योगों के लिए एक पैकेज की योजना बनाई जा रही है।
भारत की ऊर्जा जरूरतें
भारत की ऊर्जा जरूरतों को समझना भी महत्वपूर्ण है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता होने के नाते, भारत अपनी 88 प्रतिशत जरूरतों का आयात करता है। रूस से मिलने वाले रियायती तेल ने पिछले तीन वर्षों में अरबों डॉलर की बचत कराई है, इसलिए यह सौदा भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
BRICS की वर्चुअल बैठक
8 सितंबर को BRICS की वर्चुअल बैठक
इस बीच, अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर वैश्विक रणनीति बनाने के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने 8 सितंबर को BRICS की वर्चुअल बैठक बुलाई है। इसमें भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर भाग लेंगे। सूत्रों के अनुसार, इस स्तर पर विदेश मंत्री की भागीदारी ही पर्याप्त मानी गई है। भारत का मानना है कि BRICS और SCO जैसे मंच पश्चिम-विरोधी नहीं, बल्कि वैकल्पिक वैश्विक सहयोग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ट्रंप प्रशासन का दबाव
दूसरी ओर, ट्रंप प्रशासन BRICS को अमेरिका-विरोधी बताकर इन देशों पर और अधिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। ब्राजील को भी इसी विवाद में खींचा गया है, जहां ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर प्रतिबंध तक लगा दिए हैं। लूला ने हाल ही में कहा कि ट्रंप बहुपक्षवाद को कमजोर कर रहे हैं, जो वैश्विक व्यापार के लिए खतरनाक है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत में अमेरिका के दबाव का मिलकर सामना करने और द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।