भारत को यूएन में स्थायी सदस्यता: सिंगापुर के पूर्व राजनयिक का सुझाव

भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर विश्व दो धड़ों में बंटा हुआ है। एक बड़ा समूह भारत के पक्ष में है, जो चाहता है कि भारत को यूएन में स्थायी सीट और वीटो अधिकार मिले, जैसा कि अमेरिका, रूस, चीन और ब्रिटेन के पास है। इस मुद्दे पर भारत के प्रधानमंत्री भी कई बार अपनी बात रख चुके हैं। रूस ने हमेशा भारत का समर्थन किया है। हाल के यूएन सत्र में भूटान ने भी भारत की स्थायी सदस्यता की वकालत की।
भारत की जनसंख्या और लोकतंत्र
आज भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला और सबसे बड़ा लोकतंत्र है। फिर भी, भारत को यूएन में स्थायी सीट क्यों नहीं मिली? इस पर सिंगापुर के एक पूर्व राजनयिक ने टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन को अपनी स्थायी सीट भारत को दे देनी चाहिए, क्योंकि ब्रिटेन ने भारत पर 200 वर्षों तक शासन किया। वर्तमान में, ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था भारत से कमजोर है, और भारत चौथे नंबर की वैश्विक अर्थव्यवस्था बन चुका है।
महबूबानी का दृष्टिकोण
सिंगापुर के पूर्व राजनयिक किशोर महबूबानी ने सुझाव दिया है कि यूनाइटेड किंगडम को यूएन सुरक्षा परिषद में अपनी स्थायी सीट भारत को सौंप देनी चाहिए। उन्होंने वैश्विक बदलावों, विशेषकर चीन और भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति पर जोर दिया। महबूबानी ने कहा कि आज हम एक बड़े संरचनात्मक बदलाव का सामना कर रहे हैं, जो पिछले 2,000 वर्षों में सबसे बड़ा हो सकता है।
भारत और ब्रिटेन की आर्थिक तुलना
महबूबानी ने भारत की बढ़ती ताकत की तुलना ब्रिटेन से की। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में, ब्रिटिश अर्थव्यवस्था भारत की अर्थव्यवस्था से लगभग चार गुना बड़ी थी, लेकिन अब भारत ब्रिटेन से बड़ा है। 2050 तक, भारत ब्रिटेन से चार गुना बड़ा होने की संभावना है। उन्होंने ब्रिटेन से निवेदन किया कि वे उदारता दिखाते हुए भारत को यूएन सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट लेने दें।