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भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत: वांग यी की महत्वपूर्ण यात्रा

चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा 18 से 20 अगस्त तक चलने वाली है, जिसका मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और सीमा विवाद पर चर्चा करना है। इस यात्रा के दौरान वांग यी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा, यह दौरा एससीओ शिखर सम्मेलन से पहले की तैयारी के रूप में भी महत्वपूर्ण है। सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भी कई पहल की जाएंगी, जैसे कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली।
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भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत: वांग यी की महत्वपूर्ण यात्रा

भारत में वांग यी का दौरा

भारत-चीन संबंध: चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत में तीन दिवसीय यात्रा पर आए हैं, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को नई दिशा देना है। यह यात्रा 18 से 20 अगस्त तक चलेगी, जिसमें वे विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे।


LAC तनाव पर चर्चा

सीमा विवाद पर बातचीत

इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य सीमा विवाद से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के प्रयासों को आगे बढ़ाना है। वांग यी, एनएसए डोभाल के साथ भारत-चीन सीमा पर 24वीं विशेष प्रतिनिधि (SR) बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद, विशेष रूप से देपसांग मैदानों और डेमचोक क्षेत्रों में गश्त की बहाली और सैन्य वापसी पर चर्चा की जाएगी।


विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता

द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा

वांग यी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच होने वाली बैठक में द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। इसमें व्यापार, सुरक्षा, तकनीकी सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल होंगे। भारत व्यापार असंतुलन को लेकर चिंतित है, इसलिए इस वार्ता में संतुलित व्यापारिक संबंध और संयुक्त उद्यमों पर भी चर्चा की उम्मीद है।


पीएम मोदी से मुलाकात

राजनीतिक विश्वास को बढ़ाना

19 अगस्त को वांग यी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास (7 लोक कल्याण मार्ग) पर मुलाकात करेंगे। इस बैठक में दोनों देशों के बीच राजनीतिक विश्वास को बढ़ाने और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग के नए रास्ते तलाशने पर जोर दिया जाएगा।


SCO शिखर सम्मेलन का महत्व

एससीओ मीटिंग से पहले की तैयारी

यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में चीन में होने वाली एससीओ मीटिंग में भाग लेने तियानजिन जाएंगे। यह सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित होगा और इसे अब तक का सबसे बड़ा SCO शिखर सम्मेलन माना जा रहा है, जिसमें 20 से अधिक देशों के शीर्ष नेता और दस अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधिमंडल शामिल होंगे। वांग यी की यात्रा इस शिखर सम्मेलन से पहले द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने की तैयारी मानी जा रही है।


सांस्कृतिक और मानवीय संबंध

सांस्कृतिक संबंधों पर ध्यान

वांग यी की यात्रा केवल राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों तक सीमित नहीं है। इसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, पर्यटक वीजा की शुरुआत और दोनों देशों के लोगों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने पर भी चर्चा होगी। यह कदम दोनों समाजों को एक-दूसरे के और करीब लाने में सहायक हो सकता है।