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भारत-चीन संबंधों में सकारात्मकता बनाए रखने की अपील

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डॉन जुन के साथ वार्ता में भारत-चीन संबंधों में सकारात्मकता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को नई जटिलताओं से बचना चाहिए। यह वार्ता चिंगदाओ में हुई, जहां सिंह ने कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली पर भी खुशी व्यक्त की। जानें इस महत्वपूर्ण वार्ता के बारे में और क्या कहा गया।
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भारत-चीन संबंधों में सकारात्मकता बनाए रखने की अपील

रक्षा मंत्री की चीन यात्रा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष एडमिरल डॉन जुन से बातचीत में कहा है कि भारत और चीन को अपने द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक प्रगति बनाए रखनी चाहिए और नई जटिलताओं से बचना चाहिए। यह वार्ता बृहस्पतिवार को चीन के चिंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान हुई।


सैन्य गतिरोध का समाधान

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए पिछले साल अक्टूबर में सहमति बनी थी। इस संदर्भ में, भारतीय रक्षा मंत्री की यह यात्रा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह नयी दिल्ली और बीजिंग के बीच संबंधों को पुनर्स्थापित करने के प्रयासों का हिस्सा है।


सोशल मीडिया पर साझा की जानकारी

सिंह ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में बताया कि चिंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान उन्होंने एडमिरल डॉन जुन के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक चर्चा की। उन्होंने कहा कि लगभग छह साल के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के पुनः आरंभ होने पर उन्हें खुशी है।


भारत का संघर्ष से बचने का संकल्प

सिंह ने डॉन को एक मधुबनी पेंटिंग 'ट्री ऑफ लाइफ' भेंट की। चीन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सिंह ने बैठक में स्पष्ट किया कि भारत चीन के साथ संघर्ष नहीं चाहता और वह मतभेदों को उचित तरीके से सुलझाने, संवाद बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए आपसी विश्वास को बढ़ावा देने का इच्छुक है।


कैलाश मानसरोवर यात्रा का महत्व

सिंह की चिंगदाओ यात्रा तिब्बत में कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली के बीच हुई है। यह यात्रा 2020 में कोविड-19 महामारी और पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण निलंबित कर दी गई थी। कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की तीर्थयात्रा हिंदुओं, जैन और बौद्धों के लिए धार्मिक महत्व रखती है।


गतिरोध का समाधान

पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ, जो उस वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद और भी बढ़ गया। पिछले वर्ष 21 अक्टूबर को हुए समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग के अंतिम दो टकराव बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह गतिरोध समाप्त हो गया।