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भारत ने चीन के नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा सेवा फिर से शुरू की

भारत ने 24 जुलाई 2025 से चीन के नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा सेवा को फिर से शुरू करने की घोषणा की है। यह निर्णय 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद लिया गया था, जिसने दोनों देशों के संबंधों में तनाव पैदा किया था। अब, इस नई पहल के साथ, भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें और मानसरोवर यात्रा की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की कहानी और गलवान घाटी में क्या हुआ था।
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भारत ने चीन के नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा सेवा फिर से शुरू की

भारत-चीन के बीच टूरिस्ट वीजा की बहाली

भारत-चीन टूरिस्ट वीजा: भारत ने 24 जुलाई 2025 से चीन के नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा सेवा को फिर से शुरू करने की घोषणा की है। यह कदम 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद लिया गया है, जिसके कारण भारत ने चीन के लिए टूरिस्ट वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब, यह निर्णय भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।


मानसरोवर यात्रा की संभावनाएं

वीजा सेवा के पुनरारंभ के साथ, भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें भी शुरू होने की उम्मीद है। इसमें मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने की योजना भी शामिल है। बीजिंग में भारतीय दूतावास ने जानकारी दी है कि चीन के नागरिक अब भारत के टूरिस्ट वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं। हालांकि, वीजा की अवधि और शुल्क के बारे में अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन सामान्य टूरिस्ट वीजा नियम लागू होने की संभावना है। चीन के नागरिकों को 30 से 90 दिन का टूरिस्ट वीजा मिल सकता है।


गलवान घाटी में हुई घटना

जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक गंभीर टकराव हुआ था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। इस घटना में कई चीनी सैनिकों की भी जान गई थी। यह टकराव भारत और चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट हुआ था, जिसका मुख्य कारण दोनों देशों की सैन्य उपस्थिति में वृद्धि थी। मई और जून 2020 में दोनों देशों के बीच सैनिकों को पीछे हटाने के लिए कई दौर की वार्ता हुई, जो सफल नहीं हो पाई। 15 जून 2020 को गलवान घाटी में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 (PP14) पर स्थिति बिगड़ गई।


15 जून की रात का संघर्ष

15 जून की रात, कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में भारतीय सेना की एक टुकड़ी ने गलवान नदी के पास चीनी सैनिकों के टेंट को हटाने का प्रयास किया, जो भारतीय क्षेत्र में स्थापित किया गया था। इस दौरान भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तीखी नोक-झोंक हुई, जो बाद में हिंसक झड़प में बदल गई। 1996 और 2005 में हुए समझौतों के अनुसार, दोनों देशों के सैनिकों ने हथियारों का उपयोग नहीं किया, लेकिन पत्थरों, लाठियों और लोहे की छड़ों से एक-दूसरे पर हमला किया। इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए, जिनमें कर्नल संतोष बाबू भी शामिल थे। इस घटना के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव बढ़ गया था।