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भारत ने चीन के सेटेलाइट्स को ब्लॉक कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया

भारत ने हाल ही में चीन से जुड़े सेटेलाइट्स को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया है, जिससे उसकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस कदम के तहत, भारतीय प्लेटफार्मों को अब चाइनीस लिंक सेटेलाइट का उपयोग करने से रोका गया है। इसके परिणामस्वरूप, भारत का मनोरंजन, समाचार और डेटा अब विदेशी नियंत्रण से बाहर होगा। जानें इस नई नीति के प्रभाव और भारत की अंतरिक्ष सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में।
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भारत ने चीन के सेटेलाइट्स को ब्लॉक कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया

भारत की नई अंतरिक्ष नीति

जब कोई राष्ट्र आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है, तो उसके विरोधियों में चिंता बढ़ जाती है। वर्तमान में, चीन इस चिंता का सामना कर रहा है, क्योंकि भारत ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारत ने चीन से जुड़े सेटेलाइट्स को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया है। आज भारत जिस स्थिति में है, वह न केवल अपनी भूमि की सुरक्षा कर रहा है, बल्कि अंतरिक्ष में भी अपनी सुरक्षा को मजबूत कर रहा है। हाल ही में, इसरो ने भारत का सबसे भारी संचार सेटेलाइट लॉन्च किया और उसी समय सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया कि अब कोई भी भारतीय प्लेटफार्म, समाचार चैनल या ओटीटी सेवा चाइनीस लिंक सेटेलाइट का उपयोग नहीं करेगी। इसका मतलब है कि भारत का मनोरंजन, समाचार और डेटा अब किसी विदेशी या विशेष रूप से चीन के नियंत्रण में नहीं रहेगा।


सरकार के आदेश

सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जो भी प्लेटफार्म एशिया सेट फाइव और एशिया सेट जैसे सेटेलाइट्स पर निर्भर हैं, जिनमें चीन की सरकारी कंपनियों की स्वामित्व है, उन्हें तुरंत स्थानांतरित होना होगा। इसका अर्थ है कि भारत का हर चैनल और हर ओटीटी या तो भारतीय उपग्रह GS830, GS817 पर जाएगा या फिर किसी विश्वसनीय विदेशी सेटेलाइट पर। चीन का प्रभाव अब समाप्त हो गया है। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने चाइनासैट और हांगकांग स्थित ऑपरेटरों एपस्टार और एशियासैट के उन आवेदनों को अस्वीकार कर दिया है जो भारतीय कंपनियों को उपग्रह सेवाएँ प्रदान करना चाहते थे।


एशियासैट की स्थिति

भारत में एशियासैट की 33 वर्षों की उपस्थिति के बावजूद, वर्तमान में केवल AS5 और AS7 उपग्रहों के लिए ही प्राधिकरण है, जबकि AS6, AS8 और AS9 उपग्रहों के लिए अनुमतियाँ अस्वीकार कर दी गई हैं। एक सूत्र ने बताया कि जियोस्टार, ज़ी आदि सहित प्रसारकों और टेलीपोर्ट ऑपरेटरों को अगले साल मार्च तक एशियासैट 5 और 7 उपग्रहों से स्थानीय जीसैट और इंटेलसैट जैसे अन्य उपग्रहों पर स्थानांतरित होना है। कंपनियों ने परिचालन संबंधी व्यवधानों को रोकने के लिए यह बदलाव शुरू कर दिया है।


अंतरराष्ट्रीय उपग्रह ऑपरेटरों की भूमिका

इंटेलसैट, स्टारलिंक, वनवेब, आईपीस्टार, ऑर्बिटकनेक्ट और इनमारसैट जैसे कई अंतरराष्ट्रीय उपग्रह ऑपरेटरों को भारत में संचार और प्रसारण सेवाएँ प्रदान करने के लिए प्राधिकरण प्राप्त हुआ है। अधिकारियों ने बताया है कि जीसैट भारत में पर्याप्त उपग्रह क्षमता विकसित कर रहा है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि संगठनों को पिछली चुनौतियों का सामना न करना पड़े। ज़ी के एक प्रवक्ता ने जीसैट-30, जीसैट-17 और इंटेलसैट-20 उपग्रहों पर उनके संक्रमण की पुष्टि की। यह कदम सितंबर 2025 के मध्य तक उठाया जाएगा। वर्तमान में, एशियासैट-7 पर कोई सेवा उपलब्ध नहीं है। एशियासैट भारत में अपनी सेवाएँ जारी रखने के लिए अंतरिक्ष नियामक के साथ बातचीत कर रहा है।