भारत ने पश्चिमी देशों को दी सख्त चेतावनी, ऊर्जा व्यापार पर उठाए सवाल
भारत की कड़ी चेतावनी
भारत ने एक बार फिर वैश्विक स्तर पर पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका और यूरोप को स्पष्ट चेतावनी दी है। मलेशिया में आयोजित ईस्ट एशिया समिट में, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने पश्चिमी शक्तियों पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा व्यापार के संदर्भ में सिद्धांतों का उपयोग अक्सर अपनी सुविधानुसार किया जाता है। जयशंकर ने यह भी बताया कि सिद्धांतों को लागू करने में बहुत कम लोग साहस दिखाते हैं। यह स्पष्ट रूप से अमेरिका और यूरोप की ओर इशारा था, जो भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए दबाव बना रहे हैं।
ऊर्जा आपूर्ति और आतंकवाद पर भारत का रुख
जयशंकर ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि ऊर्जा आपूर्ति को जानबूझकर सीमित किया जा रहा है, जिससे बाजार में अस्थिरता उत्पन्न हो रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा, सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। आतंकवाद के मुद्दे पर, उन्होंने कहा कि भारत का आत्मरक्षा का अधिकार कभी भी समझौते के लिए नहीं होगा। उन्होंने यह भी बताया कि आतंकवाद एक स्थायी खतरा है, और इस पर नरमी की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। यह बयान पाकिस्तान की ओर इशारा करता है, जो आतंकियों का समर्थन करता रहा है।
भू-राजनीतिक बदलाव और नई विश्व व्यवस्था
विदेश मंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में भू-राजनीतिक बदलाव तेजी से हो रहे हैं, और दुनिया को नई परिस्थितियों के अनुसार ढलना होगा। उन्होंने नई प्रतिस्पर्धा, प्रौद्योगिकी की दौड़, संसाधनों की लड़ाई और आपूर्ति श्रृंखलाओं की जटिलता का उल्लेख किया, जो नई विश्व व्यवस्था का संकेत देती हैं। जयशंकर ने कहा कि बहुध्रुवीयता को स्वीकार करना आवश्यक है, जहां भारत जैसी उभरती शक्तियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने यूक्रेन युद्ध और गाजा संघर्ष के शीघ्र समाधान की अपील की और समुद्री सुरक्षा तथा एशिया-प्रशांत सहयोग में भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।
वैश्विक आर्थिक चिंताओं पर चर्चा
विदेश मंत्री ने शिखर सम्मेलन में वैश्विक आर्थिक चिंताओं पर भी बात की। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता और बाजारों तक पहुँच को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं। तकनीकी प्रगति और प्राकृतिक संसाधनों की खोज में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि बदलाव का महत्व है और दुनिया नई परिस्थितियों के अनुसार ढलेगी। अंततः, तकनीक, प्रतिस्पर्धा, बाजार का आकार, डिजिटलीकरण, कनेक्टिविटी, प्रतिभा और गतिशीलता की वास्तविकताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
