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भारत ने यूएन में पाकिस्तान की नीतियों की कड़ी आलोचना की

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की नीतियों की कड़ी आलोचना की है। भारतीय राजदूत हरीश पर्वत ने इमरान खान के शासन में बर्बरता का जिक्र करते हुए पाकिस्तान को तीन मोर्चों पर घेरने का दावा किया। उन्होंने कहा कि जब तक आतंकवाद जारी रहेगा, तब तक संधि स्थगित रहेगी। पाकिस्तान के विभाजनकारी एजेंडे की आलोचना करते हुए, भारत ने जम्मू कश्मीर और सिंधु जल संधि के मुद्दों पर भी कड़ा जवाब दिया। जानें इस महत्वपूर्ण चर्चा के बारे में और क्या कहा गया।
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भारत ने यूएन में पाकिस्तान की नीतियों की कड़ी आलोचना की

पाकिस्तान की नीतियों पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को भारत ने तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा है। भारत ने तीन प्रमुख मुद्दों पर पाकिस्तान को घेर लिया है। भारतीय राजदूत हरीश पर्वत ने इमरान खान के शासन में हुई बर्बरता का उल्लेख किया और सिंधु नदी पर पाकिस्तान को आईना दिखाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की स्थिति पर यह भारत का तंज है, जहां एक प्रधानमंत्री को जेल में डाल दिया गया और सत्ताधारी पार्टी पर प्रतिबंध लगाया गया। इसके अलावा, सेना प्रमुख के लिए संवैधानिक तख्तापलट किया गया।


पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया गया कि जब तक आतंकवाद जारी रहेगा, तब तक संधि स्थगित रहेगी। भारत ने कहा कि पाकिस्तान को सीमा पार से आतंकवाद को रोकना होगा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के विभाजनकारी एजेंडे की आलोचना की और कहा कि इस्लामाबाद अपने लोगों की इच्छाओं का सम्मान नहीं करता।


हरीश पर्वत ने सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के राजदूत आसिम इफ्तिखार अहमद को जम्मू कश्मीर और सिंधु जल संधि के मुद्दे पर कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का जम्मू कश्मीर का अनुचित उल्लेख भारत और उसके लोगों को नुकसान पहुंचाने पर केंद्रित है।


पाकिस्तान के दावों का भारत ने किया खंडन

भारत ने पाकिस्तान के दावे को भी खारिज कर दिया कि जम्मू कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार सुलझाया जाना चाहिए। हरीश ने कहा कि पाकिस्तान का अपने लोगों की इच्छाओं का सम्मान करने का तरीका अनोखा है, जिसमें एक प्रधानमंत्री को जेल में डालना और राजनीतिक दल पर प्रतिबंध लगाना शामिल है।


पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अगस्त 2023 से भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में हैं और उन्हें एकांत कारावास में रखा गया है। पिछले महीने, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में पारित 27वें संवैधानिक संशोधन ने सेना प्रमुख को कानूनी सुरक्षा प्रदान की। हरीश ने दोहराया कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न हिस्से हैं और सिंधु जल संधि सद्भावना के आधार पर की गई थी।