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भारत में आतंकवाद पर एकजुटता की आवश्यकता: संसद में चर्चा का समय

भारत में आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। संसद में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होने वाली है। विपक्ष की प्राथमिकताएँ चुनावी राजनीति हैं, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है। भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस नीति अपनाई है। इस संदर्भ में, सभी राजनीतिक पार्टियों को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।
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भारत में आतंकवाद पर एकजुटता की आवश्यकता: संसद में चर्चा का समय

आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की आवश्यकता

भारत की सभी राजनीतिक पार्टियों को एकजुट होकर आतंकवाद की निंदा करनी चाहिए और सरकार को इस चुनौती का सामना करने में सहयोग देना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि इस संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ खड़ा है। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर को आतंकवाद के मुद्दे पर समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया।


संसद में चर्चा का समय

28 जुलाई को लोकसभा में और अगले दिन राज्यसभा में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की जाएगी। यह चर्चा जम्मू कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के तीन महीने बाद हो रही है, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या की गई थी। दोनों सदनों में 16-16 घंटे की चर्चा का समय निर्धारित किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल होंगे।


विपक्ष की प्राथमिकताएँ

विपक्ष की प्राथमिकता आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा नहीं, बल्कि चुनावी राजनीति है। बिहार में विधानसभा चुनाव के चलते, विपक्ष ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर हंगामा किया। सवाल यह है कि यदि चुनाव आयोग फर्जी नाम हटा रहा है, तो आपत्ति क्यों होनी चाहिए?


राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान

यदि विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देता, तो पहलगाम कांड और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा पहले ही हो चुकी होती। यह आश्चर्यजनक है कि जब संसद का सत्र शुरू हुआ, तो विपक्ष ने अन्य मुद्दों को उठाया।


सुरक्षा बलों की सजगता

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर जारी है, जिसका अर्थ है कि भारतीय सशस्त्र बल पाकिस्तान की सीमा में आतंकवादी ठिकानों की निगरानी कर रहे हैं।


आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस नीति

भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति अपनाई है। अब आतंकवादी हमलों को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव है, जिससे पाकिस्तान की परोक्ष युद्ध नीति को चुनौती दी जाएगी।


विपक्ष की भूमिका

लोकतंत्र में एक सशक्त विपक्ष आवश्यक है, लेकिन उसे हमेशा नकारात्मक नहीं होना चाहिए। विपक्ष को रचनात्मक सुझाव देने चाहिए और सरकार के प्रयासों की सराहना करनी चाहिए।


भारत की कूटनीतिक सफलता

भारत ने आतंकवादियों और उनके सरपरस्त पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक अभियान चलाया है, जिसमें 59 नेताओं और राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल को 33 देशों में भेजा गया। यह अभियान सफल रहा है और विपक्ष को इसे स्वीकार करना चाहिए।